दीपावली पर तोहफों की बरसात

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जी हां दीपावली पर चारों तरफ से तोहफों की बरसात हो रही है। दीपावली बोनस और भत्तों की आस लगाए बैठे सरकारी कर्मचारियों को बोनस, भत्तों की घोषणाएं सरकार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवा बेरोजगारों को दीपावली पर 10 लाख नौकरियों का तोहफा देने की घोषणा कर दी है। अभी उन्होंने दो दिन पहले देश के किसानों को सम्मान निधि की किस्त उनके खाते में डाल कर तथा रबी की फसल के एमएसपी में बढ़ोतरी का ऐलान कर उनकी आय को बढ़ाने की बात कही थी। सुना जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा अब ग्रहणियों के लिए कुछ तोहफा देने की तैयारी की जा रही है। इन तोहफों के अलावा और भी बहुत कुछ ऐसा है जो आने वाले दिनों में देश की जनता को मिल सकता है। यह हैरान करने वाली बात है कि सरकारों द्वारा गरीबों और निचले स्तर के लोगों के लिए इतना कुछ किया जाता रहा है लेकिन फिर भी देश से न गरीबी मिट रही है और न गरीबों की संख्या कम हो रही है। न बेरोजगारी मिट रही है न बेरोजगारी दर में कोई कमी आ पार रही है। न भूखमरी की स्थिति में कोई सुधार हो रहा है और न उनकी समस्याओं में कमी आ रही है। कोरोना काल में सरकार द्वारा देश के 80 करोड लोगों को सालों साल मुफ्त का राशन खिलाया गया फिर भी देश हंगर सूची 121 देशों में 107वें स्थान पर रहा। प्रधानमंत्री मोदी ने जब पहली बार सत्ता संभाली थी तब हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वायदा किया था अब उन्हें 8 साल प्रधानमंत्री बने हो गए हैं इस हिसाब से 16 करोड लोगों को रोजगार मिल जाना चाहिए था लेकिन अभी देश में 28 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हैं समझ नहीं आता कि क्या देश में आधे बेरोजगार पड़े थे अगर नहीं तो फिर यह बेरोजगारी खत्म क्यों नहीं हो पा रही है। सरकार ने करोड़ों लोगों को तो मनरेगा में रोजगार दे दिया है। अभी खबर आई थी कि अकेले हरियाणा में सैकड़ों हजार मीट्रिक टन गेहूं खुले मैदानों में बने गोदामों में सड़ गया। अजीब बात है कि एक तरफ भूखमरी की स्थिति है और दूसरी तरफ अन्न गोदामों में सड़ रहा है। केंद्र सरकार के पास 41लाख स्वीकृत पदों के सापेक्ष 31लाख पद ही भरे हुए हैं यानी 10 लाख पद खाली पड़े हैं अगर राज्य सरकारों के पास विभिन्न विभागों में खाली पड़े पद भी जोड़ लिये जाए तो यह संख्या 90 लाख हो जाती है। लेकिन समझ से परे है कि पद खाली है लोग बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। दरअसल इस बेरोजगारी, भूख और गरीबी का एक रिश्ता वोट से भी है। अभी प्रधानमंत्री मोदी ने मुफ्त की रेवड़ियंा बांटे जाने की बात कही थी। अगर यह गरीब बेरोजगार लोग नहीं होंगे तो फिर इन मुफ्त की रेवडियो को कौन खाएगा? यही कारण है कि आजादी के 75 साल बाद जब हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी वहीं है जहां पहले थी। खैर छोड़िए दीपावली है तो तोहफे लीजिए और दिवाली मनाइए।

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