अपने उल्टे सीधे कामों और हठधर्मिता से शहरी विकास मंत्री सरकार की और कितनी किरकिरी कराएंगे? तथा भाजपा उन्हें कब तक बचाने का प्रयास करती रहेगी? यह अब किसी की भी समझ से परे हो गया। जिन विधानसभा में हुई भर्तियों को लेकर वह बड़ी दबंगई से यह कहते रहे हैं कि उन्होंने भाजपा और संघ के नेताओं के सगे संबंधियों को नौकरियां दी लेकिन इसमें उन्होंने कौन सा गलत काम किया, कौन सा भ्रष्टाचार किया। वह पूर्व स्पीकर और वर्तमान के शहरी विकास मंत्री नगर निगम और नगर पालिकाओं में थोक के भाव किए गए तबादलों को लेकर एक बार फिर चर्चाओं के केंद्र में हैं। सवाल यह है कि अगर उनके द्वारा विधानसभा में की गई 72 भर्तियां संवैधानिक रूप से सही थी तो उनकी ही सरकार द्वारा इसकी जांच क्यों कराई जा रही है। क्यों मुख्यमंत्री को विधानसभा अध्यक्ष को खत लिखने की जरूरत पड़ी और क्यों विधानसभा अध्यक्ष ने इसकी जांच के लिए समिति बनाई तथा क्यों विधानसभा अध्यक्ष और सीएम धामी अवैध तरीके से की जाने वाली भर्तियों को रद्द करने की बात कह रहे हैं। इस मामले में समिति की रिपोर्ट आने वाली है। जिसके बाद यह भर्ती या तो रद्द हो ही सकती हैं और प्रेमचंद्र अग्रवाल के मंत्री बने रहने की संभावनाएं भी बहुत कम है। क्योंकि इस मुद्दे को लेकर भाजपा और सरकार की छवि तो खराब हो ही रही है साथ ही प्रेमचंद अग्रवाल को भी जहां वह जाते हैं काले झंडे दिखाए जा रहे हैं। राज्य के युवाओं में इसे लेकर भारी आक्रोश है। प्रेमचंद्र अग्रवाल द्वारा वर्तमान में जिन 74 कर्मचारियों के तबादले किए गए हैं अगर वह ठीक थे तो फिर मुख्यमंत्री धामी को इन तबादलों पर रोक लगाने की जरूरत क्यों पड़ी? यह बात मंत्री जी को क्यों समझ नहीं आ रही है। पहले से बैक डोर भर्तियों के आरोपों से घिरे प्रेमचंद्र अग्रवाल को क्या इस बात की जानकारी नहीं या समझ नहीं है कि हरिद्वार में इस समय त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव चल रहे हैं और आचार संहिता लागू है फिर क्यों उन्होंने हरिद्वार नगर निगम क्षेत्र में कई अधिकारी और कर्मचारियों के तबादलों के आदेश जारी कर दिए। एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि निकाय कर्मचारियों की सेवाएं केंद्रीय सेवाओं के अंतर्गत आती हैं जो राज्य के तबादला एक्ट में नहीं आती हैं। हास्यास्पद बात यह है कि मंत्री जी तबादलों की सूची जारी कर तुरंत विदेश दौरे पर निकल जाते हैं। उनकी अनुपस्थिति में उनकी गलती को सुधारने का काम मुख्यमंत्री धामी द्वारा इन तबादलों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाकर किया जाता है। सवाल यह है कि मुख्यमंत्री और सरकार तथा भाजपा कब तक उनका बचाव करती रहेगी। और उनके कामों के कारण जो पार्टी की किरकिरी हो रही है उसे भाजपा कब तक नजरअंदाज करती रहेग