उत्तरकाशी में भूकंप के झटके महसूस किए गए

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लोकेंद्र सिंह बिष्ट

उत्तरकाशी। उत्तरकाशी जिले में आधी रात लगातार एक के बाद एक भूकंप के चार झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप के झटकों से उत्तरकाशी के लोग दहशत में आ गए। लोग आधी रात घरों से बाहर निकल आए और काफी देर बाहर सुरक्षित स्थानों पर रहे। भारतीय मौसम विभाग नई दिल्ली के मुताबिक रिएक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 2.5 मापी गई जिसका केंद्र उत्तरकाशी जिला मुख्यालय के समीप ही भटवाड़ी तहसील में सिरोर गांव का जंगल था। उत्तरकाशी जिले में रविवार रात करीब 12 बजकर 37 मिनट पर भूकंप का पहला झटका महसूस हुआ। इसके बाद 15 मिनट के भीतर लगातार भूकंप के चार झटके महसूस किए गए। बार बार डोल रही उत्तरकाशी की धरती में लगातार आए भूकंप के झटकों से उत्तरकाशी के लोग सहम उठे। लोग भय के मारे घरों से बाहर निकल आए। जिला मुख्यालय में लोग घरों से बाहर सड़कों पर निकले। कुछ लोग रामलीला मैदान में सुरक्षित स्थान पर चले गए। ज्ञानसू और जोशियाड़ा में लोग डर के मारे बाहर सड़क किनारों पर चले गए। जिला आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक जनपद के सभी तहसील क्षेत्रों से कहीं से कोई जनहानि की सूचना नहीं है। भूकंप के झटके हालांकि हल्के थे, लेकिन लगातार आए भूकंप के झटकों से लोग सारी रात सो नहीं पाए। जिला प्रशासन लाउडस्पीकर से लोगों को अलर्ट कर रहा है और उत्तरकाशी में लगातार आए भूकंप के झटकों को देखते हुए जिला प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने को कहा। पुलिस ने लोगों से सतर्कता बरतने को कहा है।। गौरतलब रहे कि उत्तरकाशी में 1991 में 20 अक्टूबर को भी 6.6 रिएक्टर का भूकंप ने 861 से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। तब भूकंप से हजारों की संख्या में लोग घायल और कई गांव के गांव प्रभावित हुए थे। उस दिन भी भूकंप के बड़े झटके के बाद लगातार छोटे छोटे झटके महसूस किए गए थे। अभी हाल ही में तुर्की वा सीरिया में आए भीषण भूकंप से भारी जानमाल का नुकसान हुआ था। तब से लेकर कई कथित जानकर वा मीडिया के लोग उत्तराखंड में एक उससे भी बड़े भूकंप की भविष्यवाणी कर रहे हैं जिससे लोगों में दहसत वा चिंता का माहौल बना है। तथाकथित वैज्ञानिकों ने तो कुछ समय पहले ही चेतावनी देकर कहा है कि उत्तराखंड में इस बार एक बड़ा भूकंप कहर बरपा सकता है। प्राकृतिक आपदाओं की आज तक दुनियां में कोई सटीक जानकारी पहले बता सके इस तरह की कोई तकनीकी आजतक ईजाद नहीं हुई है, बस एक तुक्का लगाया जाता है और जब आपदा आ जाति है उसके बाद भविष्यवाणियों की बाढ़ आ जाति है। एक से बढ़कर एक जानकार वा वैज्ञानिक पैदा हो जाते हैं और पूर्वानुमान लगाने लग जाते हैं। सरकार को इस तरह की भविष्यवाणी पर रोक लगानी चाहिए जिससे समाज में भय वा चिंता वा असमंजस की स्थिति उत्पन्न होती है।।

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