दून पुलिस का तुगलकी फरमान: रात 11 बजे बाद सड़कों पर नहीं घूम सकते

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11बजे सभी कारोबार बंद, होटल—रेस्टोरेंट—ढाबे और दुकान कुछ नहीं खुलेगा

देहरादून। राजधानी दून में 11 बजे रात के बाद कोई कारोबार नहीं होगा, होटल—ढाबे—रेस्टोरेंट और दुकानें सब बंद। और अगर 11 बजे बाद सड़क पर घूमते मिले तो होगी कार्यवाही।
जी हां दून पुलिस ने राजधानी की कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए यह व्यवस्था लागू की है। जिसे लेकर आम आदमी से लेकर सभी व्यापारी और कारोबारी हैरान—परेशान हैं उनका कहना है कि एक तरफ सरकार अपने जीएसटी संग्रह को आगे बढ़ाना चाहती है वहीं दूसरी तरफ काम के घंटों पर प्रतिबंध लगाकर उन्हें काम करने से भी रोक रही है यह दोनों बातें एक साथ कैसे संभव है? इस पुलिसिया व्यवस्था के खिलाफ कारोबारी व व्यवसाई मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी का दरवाजा खटखटाने जा रहे हैं।
देहरादून पुलिस के यह आदेश न तो वैधानिक दृष्टि से उचित है न व्यवहारिक दृष्टि से। पुलिस का काम सिर्फ पुलिसिंग का है कानून बनाने का नहीं। हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है आवागमन। विकसित देशों और शहरों में 24 इन टू 7 काम होता है। विकास वही होता है जहंा हर रोज 24 घंटे काम होता है और कारोबारी गतिविधियां जारी रहती हैं। इस लिहाज से पुलिस का यह नया फरमान विकास विरोधी है। अपने इस फरमान के जरिए पुलिस अपनी रात की ड्यूटी को आसान बनाना चाहती है जब 11 बजे से राजधानी में अघोषित कर्फ्यू लग जाएगा तब पुलिस का भी कोई काम नहीं रह जाएगा वह भी आम आदमी की तरह चैन से सोएंगे। अगर पुलिस अपने इस नए फार्मूले को लागू करती है तो न तो उसकी हवालातों में जगह बचेगी और न जेल में, क्योंकि रात के 12 बजे तक दून की सड़कों पर हजारों की भीड़ रहती है पुलिस किसे—किसे हवालात में डालेगी। तमाम कारोबार ऐसे हैं जहां से ड्यूटी खत्म कर लोग देर रात अपने घरों को लौटते हैं ऐसे में क्या वह कोई काम कर पाएंगे?
विदेशों में अगर पुलिस किसी व्यक्ति को रात में घर से बाहर सड़कों पर देखती है तो पूछती है कि क्या कोई परेशानी है? बताइए मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं। लेकिन हमारी पुलिस आजादी के 75 साल बाद भी अंग्रेजीय पुलिस बनी हुई है जो पूछती है रात में कहां घूम रहा है अभी उठा कर बंद कर दूंगा। पुलिसिंग के इस बेसिक फर्क को आज तक किसी ने क्यों समझने की कोशिश नहीं की, यह हैरान करने वाली बात है। यहां पुलिस खुद कानून बना भी रही है और लागू भी कर रही है ऐसा लगता है कि अब सीएम और डीएम किसी की जरूरत नहीं सब कुछ पुलिस ही करने के लिए काफी है।

कुछ करेगा तभी तो बढ़ेगा इंडिया

देहरादून। केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की धामी सरकार चाहती है कि उघोग धंधे बढ़े, कारोबार बढ़े और सरकारों की कमाई बढ़े तथा रोजगार के अवसर भी बढ़े। मोदी सरकार द्वारा मॉडल शाप एंड स्टैवलिसमेंट बिल 2016 में लाया गया था। जिसमें दुकानों, बैंकों, सिनेमा व मॉल तथा होटल—रेस्टोरेंट—बार आदि को 24 वाई 7 खोले जाने की व्यवस्था की गई थी। मोदी का कहना था कि अगर दुकान 24 घंटे खुलेगी तो आय भी बढ़ेगी तथा काम करने वाले भी दोगुना चाहिए, ऐसे में रोजगार भी बढ़ेगा। लेकिन यहां तो पुलिस ही नहीं चाहती कि विकास पथ पर आगे बढ़ा जाए। सीएम कह रहे हैं जीएसटी संग्रह बढ़ाओ, पुलिस कह रही है कारोबार बंद करो।

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