देवस्थानम बोर्ड पर बड़े आंदोलन की तैयारी

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दून में तीर्थ पुरोहितों की बैठक में हुआ फैसला
कृषि कानूनों की तरह रद्द किया जाए देवस्थानम बोर्ड

देहरादून। देवस्थानम बोर्ड को रद्द न किए जाने से नाराज तीर्थ पुरोहित अब आगामी 1 दिसंबर से अपना आंदोलन तेज करने जा रहे हैं। तीर्थ पुरोहित शीतकालीन प्रवास स्थलों पर अपने धरने प्रदर्शन जारी रखेंगे और सरकार के खिलाफ अपना आंदोलन और अधिक तेज करेंगे।
राजधानी दून में आयोजित तीर्थ पुरोहितों की महापंचायत की बैठक में आज उन्होंने सरकार के रवैए पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उन्हें बार—बार आश्वासन देकर सिर्फ समय निकाल रहे हैं। उनके द्वारा अभी तक इस मामले में कुछ भी फैसला नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने 30 नवंबर तक कोई फैसला करने का समय मांगा था जिसमें अब सिर्फ एक सप्ताह ही शेष बचा है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार 30 नवंबर तक देवस्थानम बोर्ड को रद्द करने का फैसला नहीं लेती है तो वह अपना आंदोलन और तेज करेंगे।
तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि चारों धामों के शीतकालीन प्रवास स्थलों पर उनका धरना प्रदर्शन तो जारी रहेगा ही साथ ही वह सरकार के खिलाफ अपने आंदोलन को आगे बढ़ाने की रणनीति पर भी विचार कर रहे हैं। उनकी मांग है कि जिस तरह से केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को रद्द किया गया है उसी तरह से देवस्थानम बोर्ड को रद्द किया जाए और पुनः पुरानी व्यवस्था लागू की जाए।
उन्होंने मांग की है कि सरकार इस माह के अंत में आहुत किये जाने वाले गैरसैंण सत्र में अगर बोर्ड रद्द करने का प्रस्ताव नहीं लाती है तो तीर्थ पुरोहत चुनाव में भाजपा का पूर्ण बहिष्कार करेंगे। उल्लेखनीय है कि तीन जिलों उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जहां चारों धाम हैं उनकी दर्जन भर से अधिक सीटों पर तीर्थ पुरोहितों की इस नाराजगी का असर पड़ सकता है। देखना यह है कि क्या भाजपा चुनाव से पहले देवस्थानम बोर्ड को रद्द करने जैसा कोई फैसला लेती है या फिर इसे यूं ही अधर में लटकायें रहती है। फिलहाल तीर्थ पुरोहित सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
सरकार की मुसीबत यह है कि अगर वह देवस्थानम बोर्ड के लिए लाए गए एक्ट को रद्द करती है तो विपक्ष को एक हमले का मुद्दा मिल जाएगा और सरकार से यह पूछा जाना लाजमी है कि अगर एक्ट को वापस लेना था तो इसे लाने की जरूरत ही क्या थी?

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