नई दिल्ली।भारत में हिजाब बैन को लेकर विवाद अपने चरम पर है। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच का फैसला भी इस मुद्दे पर अलग-अलग रहा। अब सु्प्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी। इस बीच स्विट्जरलैंड से बड़ी खबर आ रही है। स्विस सरकार ने अपनी संसद में बुधवार को एक मसौदा पेश किया है। इसमें देश में ‘बुर्का’ पहनने पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है। ऐसा न करने पर 1,000 स्विस फ्रैंक (करीब 82,000 रुपये) जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। स्विट्जरलैंड में सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाने की बात कई सालों से चल रही थी। पिछले एक साल से इसको एक मुहिम के रूप में चलाया गया। इसको लेकर देश में जनमत संग्रह भी कराया गया जिसमें लोग बैन के पक्ष में थे। सरकार ने जो मौसादा पेश किया है उसमें सीधे तौर पर इस्लाम का उल्लेख नहीं है। सरकार का कहना है कि इस उद्देश्य हिंसक प्रदर्शनकारियों को चेहरा ढकने या मास्क पहनने से रोकना है। हालांकि, स्थानीय स्विस राजनेता और मीडिया सरकार की इस कोशिश को ‘बुर्का बैन’ के रूप में ही देख रहे हैं। सरकार ने कहा है कि चेहरा ढकने पर बैन का उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था को सुनिश्चित करना है। इसी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इस मसौदे में कई छूट भी शामिल हैं। सरकार ने राजनयिक इलाके, धार्मिक स्थलों और फ्लाइट में बैन हटाने की बात कही गई है। हेल्थ, सिक्योरिटी, जलवायु परिस्थितियों और रीति-रिवाजों से जुडे़ मामलों में यह वैध होंगे। कलात्मक प्रदर्शन और विज्ञापनों में छूट दी जाएगी। साथ ही मौलिक अधिकारों के तहत खुद को बचाने के लिए मास्क पहनने की अनुमति दी जाएगी। प्रतिबंध के समर्थकों ने चेहरे को ढकने को इस्लाम का प्रतीक बताया था। वहीं मु्स्लिम ग्रुप ने इसे भेदभाव की कार्रवाई मानते हुए इसकी निंदा की है। ध्यान रहे फ्रांस ने 2011 में सार्वजनिक रूप से पूरे चेहरे को ढकने पर बैन लगा दिया है। वहीं, डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंड और बुल्गारिया में सार्वजनिक रूप से चेहरा ढकने पर पूर्ण या आंशिक बैन लगा गया है। स्विटजरलैंड में मुसलमानों की संख्या कुल आबादी का लगभग 5 फीसदी है। इसमें ज्यादातर तुर्की, बोस्निया और कोसोवो से आए हैं।