लखनऊ । उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत काम कर रहे हैं। इसका एक बड़ा उदाहरण उस वक्त देखने को मिला जब सीएम योगी ने भ्रष्टाचार में लिप्त एक सर्किल अफसर का डिमोशन कर उसे एसआई बनाने का निर्देश जारी कर दिया। सीएम योगी ने रिश्वत लेने के मामले में क्षेत्राधिकारी के खिलाफ ये सख्त कदम उठाया है। दरअसल, ये मामला साल 2021 का है जब रामपुर में तैनात तत्कालीन डिप्टी एसपी विद्या किशोर शर्मा के खिलाफ रिश्वत लेने का मामला सामने आया था। जिसके बाद इस मामले की जांच के आदेश दिए गए थे। विद्या किशोर शर्मा पर अनुशासनहीनता समेत तमाम आरोपों को लेकर जांच चल रही थी। इस जांच में दोषी पाए जाने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने ये बड़ा फैसला लिया है। विद्या किशोर शर्मा 2021 में रामपुर ने तैनात थे, जहां पर रिश्वत के मामले में प्रशासनिक आधार पर तबादला हुआ और जांच में दोषी पाए गये, विद्या किशोर शर्मा इन दिनों जालौन पीटीसी में तैनात हैं। सीएम योगी की इस कार्रवाई से भ्रष्ट अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ सीएम की इस कार्रवाई को एक मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है ताकि ऐसे अधिकारी सचेत हो जाएं कि किसी भी कीमत पर प्रदेश में भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने जब से यूपी की सत्ता संभाली है तभी से वो लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर बात करते आए हैं और उनके इस फैसले ने ये इसकी नजीर भी पेश कर दी है।