चुनावी रैलियों पर रोक संभव

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डिजिटल प्रचार व वर्चुअल रैलियों पर विचार
रैलियों से कोरोना विस्फोट का बड़ा खतरा
चुनाव आयोग की बैठक में हो सकता है फैसला

नई दिल्ली/देहरादून। देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना को देखते हुए पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर होने वाली चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। निर्वाचन आयोग द्वारा आज इस मुद्दे पर बैठक बुलाई गई है जिसमें प्रत्यक्ष चुनावी रैलियों पर रोक लगाने और डिजिटल चुनाव प्रचार की व्यवस्था पर फैसला लिया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं बीते एक सप्ताह में देश में कोरोना के मामलों में 50 फीसदी की वृद्धि हुई है तथा यह आंकड़े 6358 से बढ़कर 33,756 तक जा पहुंचे हैं केंद्र सरकार द्वारा जहां राज्यों को सख्ती बरतने के निर्देश दिए जा रहे हैं वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी केंद्र सरकार तथा निर्वाचन आयोग को चुनाव कुछ महीने स्थगित करने और चुनावी रैलियों पर रोक लगाने तथा डिजिटली चुनाव प्रचार के तरीकों पर विचार करने का सुझाव दिया गया था। देश में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है तथा तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली, राजस्थान उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र, केरल व झारखंड में पाबंदियों का दौर शुरू हो चुका है।
चुनाव आयोग ने भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आज इस मुद्दे पर फैसले के लिए बैठक बुलाई गई है जिसमें रैलियों पर रोक लगाए जाने पर फैसला लिया जा सकता है। चुनाव प्रचार के लिए आयोजित की जाने वाली रैलियों में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है तथा इस भीड़ से कोविड—19 गाइड लाइनों का अनुपालन कराया जाना संभव नहीं है। इस बात को सभी जानते हैं। चुनाव आयोग द्वारा चुनावी तैयारियों के मद्देनजर अभी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सहित तमाम राज्यों की स्थिति की समीक्षा के मद्देनजर दौरे किए गए थे तथा राजनीतिक दलों और नेताओं से इस मुद्दे पर उनकी राय भी जानी गई थी। इस दौरान हालांकि कोई भी राजनीतिक दल चुनाव टालने और रैलियों पर रोक के पक्ष में नहीं दिखा था। लेकिन जिस तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं तथा ओमीक्रोन का खतरा बढ़ रहा है उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है तथा इस बात की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह चुनावी रैलियां कोरोना की बड़ी संवाहक बन सकती हैं।

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