उत्तराखंड सरकार के पास अब काम करने के लिए बहुत ही कम समय शेष बचा है। राज्य में 20—25 दिन बाद कभी भी चुनाव आचार संहिता लागू की जा सकती है यही कारण है कि अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार ताबड़तोड़ फैसले करने और जो घोषणा की गई हैं उनके अमल दरफ्त में जुटे हुए हैं। बीते कल धामी सरकार की कैबिनेट बैठक में 28 फैसलों पर मुहर लगाया जाना इसकी बानगी है। वर्तमान सरकार का शीतकालीन और अंतिम विधानसभा सत्र 9 व 10 दिसंबर को होने जा रहा है। इस सत्र में इन फैसलों या प्रस्तावों को पास किया जाना भी उतना ही जरूरी है अन्यथा इसकी प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सकेगा। सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का ऐलान तो बहुत पहले कर दिया था लेकिन इस एक्ट को रद्द करने के लिए कैबिनेट मेंं प्रस्ताव लाया जाना और सदन की मंजूरी के बाद इस पर राज्यपाल के हस्ताक्षर के बिना इसे रद्द नहीं किया जा सकता। ठीक वैसे ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा भले ही राज्य सरकार को नजूल भूमि के इस्तेमाल की छूट दे दी गई हो और हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को हटा दिया गया हो लेकिन इसे लागू करने के लिए सरकार को विधानसभा में प्रस्ताव लाना और पास कराना जरूरी है तभी सरकार नजूल भूमि पर दिए गए पट्टों को फ्री होल्ड कर सकती है। चुनाव के मद्देनजर सरकार ऐसी किसी भी फैसले को लंबित रखना नहीं चाहेगी जिससे चुनाव में उसे फायदा मिलने वाला है। देवस्थानम बोर्ड और नजूल भूमि पर बसे अनाधिकृत लोगों को मालिकाना हक देने का जो अवसर सरकार को मिला है वह दोनों ही मुद्दे चुनावी नजरिए से अत्यंत ही महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। इसके अलावा कल अतिथि शिक्षकों को न हटाने या तैनाती वाले स्थानों पर भर्ती की स्थिति में उनका मूल जनपद में समायोजन करने और पति पत्नी दोनो के सरकारी नौकरी में होने पर दोनों को आवास किराया भत्ता देने तथा 100 रूपये में पानी का कनेक्शन देने, डॉक्टरों द्वारा बाहर से दवाई लिखने पर प्रतिबंध और औघोगिक क्षेत्र में निर्माण कार्यों में ढील दिए जाने सहित अनेक ऐसे फैसले लिए गए हैं जिनसे अलग—अलग क्षेत्र के लोगों को फायदा होगा। बात सिर्फ आम जन के फायदे तक सीमित नहीं है। इस चुनावी बेला में आम आदमी के हित में जो किया जा रहा है वह सही मायने में अपनी सरकार और पार्टी के हित के लिए ही किया जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के ३३ हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का बीमा के साथ राष्ट्रीय खाघान्न सुरक्षा के अंतर्गत 20 किलो सस्ता राशन मार्च 2022 तक दिये जाने की घोषणा और विभिन्न विभागों में की जा रही भर्तियां आदि सभी का उद्देश्य चुनावी लाभ से ही जुड़ा है। केंद्र सरकार ने कोरोना काल में बांटे जाने वाले सस्ते राशन को बांटे जाने की समय सीमा बढ़ाकर मार्च तक कर दी थी। अब धामी सरकार ने बीपीएल को राशन साढे सात किलोग्राम से बढ़ाकर 25 किलोग्राम कर दिया है। सौगाते बांटने और निर्णय लेने का यही समय है चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले जितनी भी खैरात बांटी जा सकती है बांट दो। तभी उन राज्यों में इन दिनों यही हो रहा है जहां चुनाव होने हैं।