मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं अपने पूर्व पति से बिना शर्त भरण-पोषण का दावा कर सकती है। इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि महिलाएं दूसरी शादी के बाद भी अपने पहले पति से उचित राशि का दावा कर सकती हैं। जस्टिस राजेश पाटिल की सिंगल बेंच ने कहा कि मुस्लिम महिला के तलाक पर अधिकारों के संरक्षण अधिनियम (एमडब्ल्यूपीए) की धारा 3 (1) (ए) में पुनर्विवाह का जिक्र नहीं है। इसलिए मुस्लिम महिलाएं भरण-पोषण के लिए पहले पति से पैसे मांगने की हकदार हैं हाईकोर्ट ने कहा, “यह अधिनियम मुस्लिम महिलाओं की गरीबी को रोकने और तलाक के बाद भी सामान्य जीवन जीने के उनके अधिकार को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। इस कानून का मकसद कहीं भी पूर्व पत्नी को उसके पुनर्विवाह के आधार पर मिलने वाली सुरक्षा को सीमित करने का नहीं है।” अदालत ने कहा, “विवाहित स्त्री संपत्ति अधिनियम के तहत एक तलाकशुदा महिला अपने पुनर्विवाह की परवाह किए बिना भरण-पोषण की हकदार है।” बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने सऊदी अरब में काम करने वाले चिपलून निवासी की याचिका को खारिज कर दिया। इसमें याचिकाकर्ता ने खेड़ की सत्र न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी। निचली अदालत में न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पति को एक बार ही गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया था। इसके बाद पीड़िता ने इस फैसले के खिलाफ सत्र अदालत में अपील की। चिपलून निवासी ने अपनी पूर्व पत्नी को 5 अप्रैल 2008 को एक डाक भेजकर तलाक दे दिया था।