नई दिल्ली। नई संसद का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही करेंगे। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नई संसद का उद्घाटन करने के लिए लोकसभा सचिवालय और भारत सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी। अधिवक्ता सीआर जया सुकिन ने ये जनहित याचिका दाखिल की थी। उन्होंने याचिका में कहा था कि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल न करके भारत सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। ऐसा करके संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार भी लगाई है।
एक तरफ जहां उद्घाटन समारोह को यादगार बनाने की तैयारियां चल रही हैं, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इसके बहिष्कार के लिए पूरा जोर लगा रहा है। संसद की नई इमारत के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाली पार्टियों की जहां संख्या 21 हो गई है, वहीं समर्थन करने वाली पार्टियाों की संख्या दो दर्जन को पार कर चुकी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 25 पार्टियों ने उद्घाटन समारोह का न्यौता स्वीकार कर लिया है। मायावती की अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारी नई बिल्डिंग के उद्घाटन करने का समर्थन तो किया है लेकिन समारोह में आने को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
28 तारीख को कार्यक्रमों की शुरुआत सुबह साढ़े सात बजे से ही हो जाएगी जो दोपहर ढाई बजे तक चलेगी। सुबह पूजा पाठ के साथ शुरू होने वाले समारोह का समापन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण के साथ होगा। पूरे कार्यक्रम की रूप रेखा तैयार हो चुकी है, विधि विधान का खाका बन चुका है। विपक्षी दलों के विरोध से बेपरवाह सरकार ने तय कर लिया है कि नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को तय वक्त पर ही होगा, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे।