आंदोलनकारियों के आरक्षण पर प्राइवेट मेंबर बिल लाने से रोका
देहरादून। सरकार द्वारा समय पूर्व सत्रावसान किए जाने से नाराज हरिद्वार विधायक अनुपमा रावत ने आज एक प्रेस वार्ता में सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा गया है कि समय पूर्व सत्र समाप्ति की घोषणा इसलिए की गई है क्योंकि सरकार अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही से बचना चाहती थी।
उनका आरोप है कि सदन में शुक्रवार को उनके द्वारा राज्य आंदोलनकारियों के 10 फीसदी क्ष्ौतिज आरक्षण से जुड़े प्राइवेट मेंबर बिल को पेश किया जाना था जिसे रोकने के लिए शुक्रवार से पहले ही सत्र का समापन कर दिया गया। उन्होंने कहा कि एनडी तिवारी सरकार के कार्यकाल में 1000 लोगों की नौकरियां 18 प्रतिशत क्ष्ौतिज आरक्षण के तहत लगी थी। बाद में इन्हें नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, लचर पैरवी के कारण भाजपा सरकार इस शासनादेश की रक्षा नहीं कर सकी और राज्य आंदोलनकारियों की नौकरी पर तलवार लटक गई थी। उनका कहना है कि 7 मार्च 2018 को कोर्ट के फैसले के 90 दिन बाद तक सरकार ने एसएलपी दायर नहीं की न सरकार कोई बिल लेकर आई है। उनका कहना है कि जिन आंदोलनकारियों ने इस राज्य के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और जेल गए लाठी—डंडे खाए उनके हितों को लेकर सरकार कितनी चिंतित है यह इसका प्रमाण है। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम हरीश रावत द्वारा 2015 में एक बिल इस संबंध में लाया गया था जो अभी तक राज्यपाल के पास धूल फांक रहा है। अब वह एक प्राइवेट मेंबर बिल लाना चाहती थी जिसे सरकार ने समय पूर्व सत्र समापन कर रोक दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा राज्य आंदोलनकारियों के हितों से खिलवाड़ कर रही है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सत्र 7 दिन का था तमाम विधायकों के सवालों का जवाब चाहिए था मुख्यमंत्री जिनके पास 30 अहम विभाग हैं वह सवालों से बचते फिर रहे हैं। उनके द्वारा भी कई सवाल लगाए गए थे मगर सत्र समाप्त कर दिया गया यह अगर जिम्मेदारी से भागना नहीं तो और क्या है।