नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों वाली बैंच ने समलैंगिक विवाह पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह संसद के अधिकार क्षेत्र का मामला है। हालांकि कोर्ट ने समलैंगिक जोड़े को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने के आदेश भी दिए हैं। सुप्रीम ने केन्द्र व राज्य सरकारों को निर्देश देते हुए कहा है कि समलैंगिक जोड़ों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो साथ ही समलैगिकता को लेकर लोगों को जागरूक किया जाये। समलैगिंक जोड़ो की मदद के लिए हेल्पलाइन बनाई जाये। बच्चे को सेक्स चेंज की इजाजत तभी दी जाये जब वह इसे समझने के योग्य हो। सेक्स प्रवृत्ति में बदलाव के लिए किसी को जबरन कोई हार्मोन न दिया जाये। ऐसे जोड़ो की पुलिस मदद करे और उनके लिए सेफ हाउस बनाया जाये। ऐसे जोड़ोे को उनकी मर्जी के बगैर उनके परिवार के पास वापस लौटने के लिए मजबूर न किया जाये। ऐसे जोड़ो के खिलाफ पहले प्राथमिक जांच की जाये तभी एफआरआई दर्ज हो। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को इस मामले में कमेटी बनाने का निर्देश देते हुए कहा है कि यह कमेटी समलैंंगिक जोड़ो को परिवार के रूप में शामिल करने, समलैंगिक जोड़ो को संयुक्त बैंक खाते के लिए नामांकन करने में सक्षम बनाने और उन्हे पेंशन, ग्रेच्यूटी आदि से मिलने वाले अधिकार का अध्य्यन करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने समलैगिंक जोड़ों को बच्चा गोद लेने का अधिकार दे दिया है। कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि सिर्पQ विषमलैंिगंक जोड़े ही अच्छी परवरिश कर सकते है यह जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजाें की संविधान बैंच ने यह फैसला सुनाया है। इस बैंच में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस कौल, जस्टिस एस रविन्द्र भट्ट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली शामिल है। सीजेआई ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों को रद्द नहीं कर सकती है।