नई दिल्ली। पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई)और इससे जुड़े संगठन या संस्थाओं को ‘अवैध संस्था’ घोषित कर दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर बताया है कि पीएफ़आई को अगले पाँच साल तक अवैध संस्था माना जाता रहेगा।
केंद्र सरकार ने अपने आदेश में पीएफ़आई पर ‘गुप्त एजेंडा चलाकर एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाने’ और ‘आतंकी संगठनों से जुड़े होने’ की बात कही है।
आदेश में लिखा गया है,”पीएफ़आई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्थाएँ या अग्रणी संगठन एक सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक संगठन के रूप में काम करते हैं, मगर ये गुप्त एजेंडा के तहत समाज के एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमज़ोर करने की दिशा में काम करते हैं। साथ ही ये भी कहा गया है कि “पीएफआई कई आपराधिक और आतंकी मामलों में शामिल रहा है और ये देश के संवैधानिक प्राधिकार का अनादर करता है. साथ ही ये बाहर से फंडिंग लेकर देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा बन गया है।
आदेश में कहा गया है कि पीएफ़आई का संबंध बांग्लादेश और भारत के दो ऐसे संगठनों से रहा है जिन पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसमें लिखा गया है पीएफ़आई का संबंध आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से भी रहा है. पीएफ़आई के कुछ संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया यानी सिमी के नेता रहे हैं. ये दोनों ही प्रतिबंधित संगठन हैं।
गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि पीएफ़आई के वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ संपर्क के कई उदाहरण हैं. पीएफ़आई के कुछ सदस्य आईएसआईएस में शामिल हुए और सीरिया, इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में आतंकी कार्यकलापों में भाग ले चुके हैं. पीएफ़आई के कुछ काडर इन देशों के संघर्ष क्षेत्रों में मारे गए हैं. कई काडर को राज्य और केंद्रीय पुलिस ने गिरफ़्तार किया है।