हमें भी अधिकारियों से काम लेना आना चाहिए
देहरादून। सूबे के अधिकारी किसी की नहीं सुनते, सूबे के अधिकारी अपनी मनमानी करते हैं या सूबे के अधिकारी काम नहीं करते। इस तरह के जुमले और शिकायतें आए दिन सुनने को मिलती है। इसके साथ ही मंत्रियों और विधायकों के बीच आए दिन तकरार की खबरें भी आती रहती हैं। यही नहीं जब मौका मिलता है तो मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव भी इन अधिकारियों को उनके कर्तव्यों और काम करने के तरीकों पर नसीहतें करते देखे जाते हैं। बीते कल भी जब आईएएस वीक का शुभारंभ हुआ तो सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि फाइलों को लटकाए रखने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी इस पर आज पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जो जैसा है वैसा ही रहेगा। सवाल यह है कि हम अधिकारियों से कैसे काम ले पाते हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि यह समस्या कोई नई समस्या नहीं है। मैंने मंत्री और मुख्यमंत्री रहते हुए अधिकारियों के साथ काम किया और सब कुछ देखा है। उनका कहना है कि जो भी अधिकारी हमें मिले हैं हमें उनसे ही काम लेना होता है। यह हमारे ऊपर भी निर्भर करता है कि हम उनसे कैसे बेहतर काम ले सकते हैं। इस समस्या के लिए सिर्फ अधिकारियों को जिम्मेदार ठहरा कर हम अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकते हैं। हमें जो भी और जैसे भी अधिकारी मिले हमने उनसे ही काम कराया।
उल्लेखनीय है कि अभी मसूरी में शासन और प्रशासन ने तीन—चार दिन चले मंथन शिविर में सूबे की बेहतर प्रगति के लिए कार्यप्रणाली में सुधार पर चिंतन मंथन किया गया था। मुख्यमंत्री धामी और मुख्य सचिव ने यहां भी नौकरशाहों को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने के अनेक तरीके बताए थे तथा उन्हें हिदायत भी दी थी कि जो काम नहीं कर सकते वह वीआरएस लेकर घर बैठे लेकिन सवाल यह है कि इस कवायद के नतीजे क्या है? अगर सब कुछ वैसे ही चलना है जैसे 20 सालों से चलता आ रहा है।