नई दिल्ली। वर्ष 1974 और वर्ष 1998 के परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी राजगोपाल चिदंबरम नहीं रहे। इसकी जानकारी डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी ने दी। वह 88 वर्ष के थे। डीएआई के अधिकारियों के मुताबिक उन्होंने मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली। डीएई की तरफ ने अपने बयान में कहा है, प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी और देश के सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में शुमार डॉ राजगोपाल चिदंबरम का 4 जनवरी 2025 की सुबह 3:20 बजे निधन हो गया। चिदंबरम का जन्म 1936 में हुआ था। उन्होंने चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज और बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से पढ़ाई की थी। चिदंबरम ने अपने कैरियर में कई प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया। उन्होंने 2001-2018 के दौरान भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, 1990-1993 के दौरान भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के निदेशक, 1993-2000 के दौरान डीएआई के सचिव और एटॉमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन के तौर पर काम किया था। उन्होंने 1994-1995 में इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी के गवर्नर्स बोर्ड के चेयरमैन के रूप में भी काम किया। चिदंबरम ने भारत की नाभिकीय क्षमताओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। डीएई के बयान के मुताबिक उन्होंने 1974 में देश के पहले न्यूक्लियर टेस्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और 1998 में पोखरण-II न्यूक्लियर टेस्ट के दौरान डिपॉर्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी टीम का नेतृत्व किया था। उनके योगदानों ने भारत को वैश्विक स्तर पर एक नाभिकीय शक्ति के रूप में स्थापित किया ।





