अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की मनमानी पर लगेगी लगाम !

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नई दिल्ली। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्स चोरी को पकड़ने के लिए छापेमारी व तलाशी अभियान चलाते रहता है। ऐसे मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने करदाताओं को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 153ए के तहत करदाता की इनकम को नहीं बढ़ाया जा सकता है, अगर तलाशी के दौरान कोई ठोस सबूत नहीं मिले हों। ऐसा माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का यह ताजा फैसला करदाताओं को बड़ी राहत प्रदान कर सकता है। वहीं इसके साथ-साथ इस बात की भी उम्मीद की जा रही है कि ऐसे मामलों में कर विभाग की मनमानी कम होगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस बात का विकल्प खुला छोड़ा है कि अगर बाद में कोई ठोस सबूत निकलकर सामने आता है, तो ऐसे में कर विभाग कर चोरी के मामले को फिर से खोल सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि आयकर कानून की धारा 153ए के तहत जिन मामलों में असेसमेंट पूरा हो चुका है, उन्हें आयकर विभाग फिर से नहीं खोल सकता है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा है कि अगर तलाशी या जब्ती अभियान के दौरान कोई ठोस सबूत मिलते हैं तो ही री-असेसमेंट ऑर्डर जारी किए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कहते हुए हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। यह फैसला न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया की पीठ ने सुनाया। उन्होंने कहा कि री-असेसमेंट एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसका करदाताओं के ऊपर बड़ा असर होता है। टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे करदाताओं को काफी राहत मिलेगी। साथ ही इस फैसले से कर अधिकारियों की ओर से मनमाने री-असेसमेंट में कमी आने की उम्मीद है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 153ए उस व्यक्ति की इनकम तय करने की प्रक्रिया बताती है, जिसके खिलाफ तलाशी ली गई है। इसका उद्देश्य अघोषित आय को टैक्स के दायरे में लाना है। मामलों को इनकम टैक्स एक्ट की धारा 147 व 148 के तहत फिर से खोला जा सकता है।

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