देहरादून। अनादि काल से मन मन को विषयों का चिंतन करने की आदत पड़ी हुयी है। मां श्री कृष्ण कथा का चिंतन करें। कान श्रवण करें। दो विषय चिंतन की आदत छूटेगी। इंद्रिय रूपी गोपियाँ का प्रेम के साथ परिणय करो ग्रस्त भक्ति में बाधक नहीं साधक है। ग्रस्त विभक्ति में सबसे बड़ी बाधक है ।
नकरौंदा रोड में सेमवाल बन्धुओं के द्वरा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छटवें दिन ज्योतिष पीठ व्यास पदालकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा, भगवान का साक्षात्कार के लिए जो गोकुल में प्रकट हुई वे श्रुति रूपा गोपी हंै। ब्रह्म के द्वारा परोक्ष ज्ञान भले ही हो जाए पर आत्म साक्षात्कार नहीं होता। इसमें देव भी हारे हंै। ईश्वर वाणी का विषय नहीं है। वाणी से थके देव गोपी बनकर आये।
प्रख्यात कथावाचक महंगाई ने कहा मनुष्य से मिलान इच्छा ही काम है परमात्मा से मिलान इच्छा ही भक्ति है। परमात्मा से मिलन इच्छा काम सुख भोगने के लिए नहीं, काम सुख से छूटने के लिए है। ब्रजभक्त अर्थात जिस साधन भक्ति जिनके पास साधन तो है पर साधन का अभिमान नहीं है वह निष्काम भक्त है। इसके लिए भगवान श्री कृष्ण लीला का मनोरथ करते रहे जो मार्ग चलते—चलते प्रभु का स्मरण नहीं करते उनकी आंखों में काम का प्रवेश होता है। मां परमात्मा का चिंतन ना करें दो संसार के चिंतन में पडता है जिसका परमात्मा के साथ संबंध हो गया, वह वंदनीय है। सब अभियान था वह छोड़कर जीव परमात्मा की शरण में जाता है तो ठाकुर जी उसकी तरफ देखते हैं। आचार्य ममगांई ने मथुरा और ब्रज की विशेषताओं पर मथुरा में ऐश्वर्या पर प्रेम नहीं है जिसके स्मरण से आंखें भीग जाती है। प्रेम का स्वभाव है यदि मनुष्य रोता है तो उसे रुदन में भी सुख मिलता है। उद्धव जी भगवान की सेवा में थे। उद्धव जी विचार करते हैं कि जब प्रभु केले बैठते हैं तब उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। क्या मेरी सेवा में कोई भूल है। पूछना जरुरी है। साइकिल प्रभु का हृदय पिछला प्रेम को प्रकट होना प्रेम का प्रकट होना अच्छा नहीं है। उधर से प्रभु कहते हैं मथुरा के लोग मुझे राजा मानकर दूसरे प्रणाम करते हैं। देवकी माता की थाल परोसने पर यशोदा माता का प्रेम याद आता है।
यशोदा बुलाती थी, मथुरा में छपन्न भोग लोग देते, मगर प्रेम से नही बुलाते। प्रभु को प्रेम की चाहना होती है। इस प्रसंग से लोग भाव विभोर हो गये।
उत्तराखंड के चारधाम गंगा यमुना केदार बदरी की भूमि है। जहां हमें भी अपना देवत्व बनाये रखने आवश्यक्ता है। हमारा सत्कर्म तो भाग्य को भी बदल देता है इसलिए स्वच्छ मन स्वच्छ दून आपके द्वारा हो सकती है तब डेंगू आदि विमारियों से निजात पा सकते हैं।
इस अवसर पर मूलचन्द सिरसवाल, संजय चौहान पूर्व प्रमुख अर्जुन सिंह गहरवार मंजुला तिवारी त्रिपुरा जुगराण सतीश भटृ जगदीश पंत सुनिता भटृ अमिता शर्मा अश्वनी टिकाराम मैठानी अजय सिंह ठाकुर रेखा बिजोला जगदीश मैठानी आचार्य राजेन्द्र मैठानी पूर्व प्रधानाचार्य राजेन्द्र सेमवाल भाजपा सदस्य संजय चौहान प्रमोद कपरवाण शास्त्री डाक्टर बबिता रावत मंजुला तिवारी सतीश मैठानी दिनेश मैठानी सर्वेश मैठानी दर्शनी देवी पार्वती देवी मुकेश राजेश चन्द्रप्रकाश ओमप्रकाश सम्पति उर्मिला सुशीला सुनिता विजया संजाता लक्ष्मी मंजू भटृ विनिता आरती ज्योति श्ौली क्षेत्र पंचायत सदस्य पुनिता सेमवाल डाक्टर सत्येश्वरी सत्येन्द्र भटृ संजय अनिल श्ौलेश आमन्त्रित अभिषेक आयुष अतुल आदि उपस्थित थे ।