धामी की दहाड़

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आज यहां हम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की नहीं बल्कि राज्य के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के कांग्रेस नेता और विधायक हरीश धामी की बात आपसे करने जा रहे हैं। अभी—अभी गुजरात में में साबरमती किनारे कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी के महाअधिवेशन में यूं तो उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने भाग लिया था लेकिन इसमें उत्तराखंड से एकमात्र नेता हरीश धामी को ही मंच से संबोधन करने का अवसर दिया गया। जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसकी चर्चा के दो प्रमुख कारण है पहला कारण है तमाम शीर्ष नेताओं की मौजूदगी के बावजूद भी हरीश धामी को ही बोलने का मौका क्यों दिया गया? इसके पीछे क्या—क्या कारण हो सकते हैं दूसरा कारण है इस मंच से धामी की उसे दहाड़ को जो उनके इस अति संक्षिप्त से संबोधन में दिखाई दी। यहां यह उल्लेखनीय है कि हरीश धामी अपने क्षेत्र में काम करने के लिए एक जुझारू नेता के रूप में जाने जाते हैं। हक की किसी भी लड़ाई में उनकी आक्रमकता उन्हे दूसरे नेताओं से अलग पंक्ति में खड़ा करती है वही वह आम जनता के बीच रहकर काम करते हैं जिससे उनकी लोकप्रियता उनकी राजनीतिक सफलता का कारण बन चुकी है। अभी मानसून काल में उनके विधानसभा क्षेत्र में अतिवृष्टि से नुकसान की खबर आई तो वह खुद निकल पड़े प्रभावित क्षेत्र के दौरे पर एक गदेरे के तेज बहाव की जद में आ गए थे लेकिन उनके साथियों ने उन्हें किसी तरह बचा लिया। इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ था। तीन बार कांग्रेस के विधायक चुने जा चुके धामी ने गुजरात में मिले बड़े मंच पर संबोधन के मौके पर अपने संक्षिप्त संबोधन में कई बड़ी बातें कही जो उनके जुझारूपन और पार्टी के प्रति समर्पण को दर्शाती है। कांग्रेस को लगातार मिल रही चुनावी असफलता पर उन्होंने कहा कि भाजपा जिसके नेताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गद्दारी की वह कांग्रेस को कभी नहीं हरा सकती है अगर कांग्रेस के नेता एक जुट होकर लड़े। उन्होंने भले ही किसी का नाम नहीं लिया हो लेकिन कांग्रेस की हार का कारण एक वाक्य में सामने रख दिया जो बहुत बड़ा सच है कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी मतभेद और अंतरकलह उस हद तक व्याप्त है कि कांग्रेस नेताओं ने अपनी सारी एनर्जी अपने नेताओं को नीचा दिखाने और उन्हे हराने में लगा देते हैं। अभी निकाय चुनाव में पिथौरागढ़ में मेयर चुनाव के दौरान मामूली अंतर से हुई हार इसका ताजा उदाहरण है। हरीश धामी ने एक अन्य बात जो सबसे महत्वपूर्ण कही वह थी युवाओं को राहुल गांधी के नेतृत्व में काम करने और उनके नेतृत्व पर भरोसा करने की। धामी ने खुद अपना उदाहरण देते हुए कहा कि 2012 में राहुल गांधी ने युवा नेताओं की तलाश अभियान में उन्हें यूथ कांग्रेस में पदाधिकारी चुने जाने का मौका दिया गया आज वह तीन बार के विधायक है वह भी उस सीमांत क्षेत्र से जहां कांग्रेस का कोई नेता था ही नहीं। उन्होंने युवाओं से अपील की है कि वह राहुल गांधी और उनकी नीतियों पर भरोसा रखें और अपने पूर्ण समर्पण के साथ कांग्रेस के लिए काम करें। आपको प्रदेश ही नहीं देश का बड़ा नेता बनने से कोई नहीं रोक सकता है। हरीश धामी के 7—8 मिनट के इस संबोधन से यह कयास लगाये जा रहे है कि पार्टी अब युवा नेतृत्व तैयार करने की जुगत में जुट चुकी है और पार्टी पर बोझ बन चुके तथा सिर्फ बातों की राजनीति करने वाले नेताओं को पार्टी और आगे ढोते रहने के मूड में नहीं है। खास तौर पर ऐसे नेताओं को पार्टी ढोते रहने के मूड में नहीं है जो पार्टी के अंदर गुटबाजी और धड़ेबाजी के जरिए अपनी पकड़ बनाएं रखना चाहते हैं। राहुल गांधी पार्टी संगठन में बड़े बदलाव के मूड में है और इसमें कोई दो राय भी नहीं है कि कांग्रेस में बिना बड़े बदलाव के वह अपना पुराना रुतबा वापस नहीं कर सकती है।

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