प्रवासियों के साथ बदसुलूकी

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अमेरिका ने अवैध रूप से अपने यहां रहने वाले प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने का जो फैसला लिया है उसका कोई भी देश विरोध नहीं कर सकता क्योंकि किसी भी देश के नागरिकों को अवैध रूप से किसी भी देश में घुसपैठ करने या फिर वहां रहने का अधिकार नहीं है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा जिस तरह से प्रवासी नागरिकों को हथकड़ी और बेड़ियो में बांधकर अपने सेना के विमान द्वारा उनके देश भिजवाया जा रहा है वह न सिर्फ अमानवीय है बल्कि मानवाधिकारों के खिलाफ है। क्योंकि अमेरिका में रहने वाले यह अवैध प्रवासी हैं कोई अपराधी नहीं है। उनके साथ इस तरह का सुलूक किया जाना दुखद और निंदनीय है। कल अमेरिकी सेना विमान 204 अवैध प्रवासी भारतीयों को लेकर अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। खास बात यह है कि इसकी कवरेज करने से मीडिया को रोका गया इस विमान से भारत लाये गये प्रवासियों ने जो आपबीती बाहर आकर बताई है कि उन्हें हथकड़ियां व बेड़ियो में जकड़ कर लाया गया तथा पीने का पानी तक नहीं दिया गया और उनकी हथकड़ियां और बेड़ियां तब खोली गई जब अमृतसर हवाई अड्डे पर सेना का यह विमान लैंड हो गया। सवाल यह है कि इस घटना को सरकारी स्तर पर रोकने के प्रयास क्यों नहीं किए गए जब कोलंबिया देश के राष्ट्रपति इस तरह की घटना का विरोध कर सकते हैं और अपने नागरिकों की सम्मानजनक वापसी करा सकते हैं तो नरेंद्र मोदी की सरकार ने ऐसे प्रयास क्यों नहीं किये। दूसरा सवाल यह है कि क्या इससे पहले किसी भी देश ने ऐसा किया है? भारत के साथ तो इससे पहले विश्व के किसी भी देश ने ऐसा नहीं किया। अमेरिका द्वारा इस काम के लिए सेना के विमान को भारत की धरती पर उतरा जाना भी अब चर्चाओं के केंद्र में है। पीएम मोदी जब ट्रंप के लिए उनके चुनाव प्रचार में अबकी बार ट्रंप सरकार के नारे लगा सकते हैं और अपनी ताकत का विश्व भर में डंका सत्ता में बैठे लोग पीटते हैं तो क्या यही है भारत का सम्मान, कि कोई उसके नागरिकों को हथकड़ियां और बेड़िया पहना कर उनके देश छोड़ दे। 2013 में जब भारतीय राजनायिक देवमानी को कथित वीजा धोखा धड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया था तब तत्कालीन केंद्र सरकार ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी और अमेरिकी दुतावास की कई सुविधाएं वापस ले ली थी तब अमेरिका ने भारत से इस पर खेद व्यक्त किया था किंतु आज वर्तमान में इतनी बड़ी घटना का कोई विरोध तक करने वाला नहीं है यह अत्यंत ही हैरत की बात है। उससे भी ज्यादा हैरत की बात इस घटना को छिपाने की कोशिश किया जाना। उस मीडिया को साधुवाद जिसने इस खबर को खबर बनाया। एक अहम सवाल यह है कि हमारे युवा क्यों अपनी जमीन जायदाद बेचकर अमेरिका में अपने सुखद जीवन की तलाश करते हैं। अनेक युवा तो ऐसे है जो मानव तस्करी के हत्थे भी चढ़ जाते हैं जो उन्हें विदेश भेजने के नाम पर कहीं का कहीं छोड़ देते हैं जहां से उनके वापस लौटने की कोई संभावना वह चाह कर भी नहीं तलाश कर पाते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अवैध तरीके से लोग आते जाते नहीं हैं। आज अवैध प्रवासियों की समस्या हर एक देश की समस्या है। भारत में भी हजारों व लाखों की संख्या में बांग्लादेशी और रोग्यिंा मुस्लिम रह गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति अगर उन्हें देश से बाहर कर रहे हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन इसके पीछे की उनकी मंशा जैसा कि ट्रंप कहते हैं अमेरिका फर्स्ट वह उचित नहीं है और उससे भी ज्यादा अनुचित है उनका वह तरीका जिसके तहत वह दूसरे देशों में अमेरिकी सेना के विमान उतार रहे हैं और प्रवासियों को हथकड़ी और बेड़ियंा लगाकर भेज रहे हैं यह भारत ही नहीं किसी भी देश के लिए राष्ट्रीय शर्म की बात है, निंदनीय है जिसका विरोध किया जाना जरूरी है।

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