मणिपुर की आग बेकाबू

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ट्टरोम जल रहा था, नीरो बांसुरी बजा रहा था’ यह कहावत मणिपुर के वर्तमान हालात पर एकदम 16 आने खरी साबित हो रही है। मणिपुर में सालों से सांप्रदायिक हिंसा का तांडव जारी है। 500 से अधिक दिनों से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अब तक मणिपुर में 500 से ज्यादा बेगुनाह लोगों की जान जा चुकी है। मासूम बच्चों की हत्याओं से लेकर महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाये जाने और उनके साथ सामूहिक दुराचार की घटनाओं की तस्वीरें पूरे विश्व में भारत की सभ्यता और संस्कृति को तार—तार कर चुकी हैं। लेकिन क्या आपने कभी एक बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर चिंता जाहिर करते हुए देखा है। जबकि इस मामले में अब तक 11000 से अधिक एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। देश की राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू जो खुद आदिवासी हैं उन्हें भी हमनें पश्चिम बंगाल की एक महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में ममता सरकार को चेतावनी देते देखा। सवाल यह है कि उन्होंने भी आज तक केंद्र सरकार को इस मामले में एक बार भी कुछ करने के लिए क्यों नहीं कहा गया। बीते कल एक बार फिर यहां हालात फिर बेकाबू हुए और उपद्रवियों या यूं कहे पीड़ितों ने छह विधायक और मंत्रियों के आवासों पर हमला बोल दिया। मुख्यमंत्री सहित तीन मंत्रियों के आवासों को लोगों ने जब फूंक डाला तब सत्ता में बैठे नेताओं की नींद टूटी है। प्रधानमंत्री अभी भी अपने विदेश दौरे पर है लेकिन गृहमंत्री जो रात दिन चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं वह नागपुर से अपनी सभी तीन जन सभाओं के कार्यक्रमों को रद्द कर दिल्ली दौड़े आए हैं। प्रधानमंत्री ने तो एक बार भी इतने दिनों में मणिपुर जाकर वहां के हालात को समझने का साहस नहीं दिखाया। गृहमंत्री अमित शाह एक बार गए और 10 दिन बाद फिर आने की बात कह कर आये थे। लेकिन तब से आज तक उन्होंने एक बार भी मणिपुर जाने की जहमत नहीं उठाई। केंद्र सरकार के इस रवैये से ऐसा लगता है कि जैसे मणिपुर देश का राज्य है ही नहीं। वहां कुछ भी होता रहे सरकार को इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अभी भी मणिपुर के सात जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद है तथा तीन जिलों में कर्फ्यू लगा हुआ है। अभी बीते दिनों केंद्र सरकार द्वारा 2 हजार केंद्रीय सुरक्षा बलों को यहां भेजा गया था। लेकिन यह खबर मीडिया में नहीं आई। लेकिन अब समझ आ रहा है कि केंद्र सरकार को संभावित बवाल की भनक पहले ही लग चुकी थी। गृहमंत्री ने अब सीआरपीएफ के प्रमुख अनीश पाल को स्थिति का जायजा लेने भेजा है। अब हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लोग मुख्यमंत्री को हटाने की मांग पर उतर आए हैं केंद्र सरकार यहां अपनी सरकार बनाए रखने में असफल हो चुकी है मणिपुर की सिविल सोसाइटी के 24 घंटे के अल्टीमेटम के बाद अब केंद्र सरकार को भी लगने लगा है कि अब मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाना ही पड़ेगा। मणिपुर जल रहा है। जिसे बचाने के लिए तत्काल गंभीर प्रयास करने की जरूरत है। केंद्र सरकार अब क्या फैसला लेती है मणिपुर का भविष्य इसी पर निर्भर करता है।

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