प्राकृतिक आपदाओं की दहशत

0
211

मानसून का मौसम आते ही उत्तराखंड में होने वाली भारी बारिश व अतिवृष्टि के कारण आने वाली आपदाओं से पहाड़ों के लोग सहमे हुए हैं। उत्तराखंड में पहले जिन स्थानों पर इस तरह की प्राकृतिक आपदाएं आई थी वहां के लोगों का जीवन अब तक सही मायने में पटरी पर नहीं आ पाया है। बरसात के मौसम में इस तरह की आपदाएं आना प्रकृति का प्रकोप ही कहा जाएगा जिसमें जनहानि और धनहानि दोनों ही होती है। प्राकृतिक आपदा का शिकार बने लोगों के लिए सबसे विकट समय यह इसलिए माना जाता है क्योंकि इस तरह की आपदाओं में वह अपना सब कुछ खो देते हैं। उनके घर, खेत, पशु आदि से भी वह हाथ धो बैठते हैं। इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं में कई बार तो लोगों को तत्काल सहायता भी नहीं मिल पाती है जब तक सरकारी तंत्र इन लोगों तक पहुंचता है तब तक काफी देर हो जाती है। हालांकि जगह और परिस्थितियों के अनुसार सरकार और स्थानीय प्रशासन लोगों को तत्कालिक सहायता पहुंचाने का प्रयास करता है। वैसे तो आपदा का कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है लेकिन लोगों को बरसात के मौसम में अलर्ट कर प्रशासन अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेता है। आपदा में अपना सब कुछ खोने वाले लोगों को कुछ समय तक प्रशासन, सरकार, स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से मदद तो मिलती है लेकिन फिर उन्हें अपने परिवार के भरण—पोषण के लिए खुद ही खड़ा होना पड़ता है। हालांकि सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता उनके लिए ऊंट के मुंह में जीरे जैसा ही होती है लेकिन इससे ज्यादा सहयोग की उम्मीद वह किसी से कर भी नहीं सकते हैं। बीते दो दिन पहले पहाड़ों पर हुई बारिश के बाद बोल्डर गिरने से तीन चारधाम यात्रियों की मौत हो गई थी ऐसे भयावह हादसे मानसूनी मौसम के दौरान उत्तराखंड में होना आम बात है लेकिन लोगों को मानसूनी बारिश के कारण होने वाली आपदाओं से सतर्क रहने की जरूरत है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here