अब शिवसेना का क्या होगा?

0
269

महाराष्ट्र के सियासी संग्राम में एक बार फिर भाजपा ने सभी को पटखनी देने में सफलता हासिल कर ली है। भले ही शिवसेना का शिंदे गुट इस संग्राम में मुख्यमंत्री पद पाकर और सत्ता में बने रहकर इसे अपनी बड़ी जीत के रूप में देख रहा हो और अभी भी सूबे में शिवसेना की सरकार होने का मुगालता पाले बैठा हो लेकिन यह सच है कि अब शिवसेना का अस्तित्व हिस्से—हिस्से बंटकर आधा रह गया है। भाजपा अगर चाहती तो देवेंद्र फडणवीस को ही मुख्यमंत्री बना सकती थी लेकिन उसने एन वक्त पर अपनी रणनीति बदल कर एक दूरगामी फैसला लेना ही हितकर समझा। क्योंकि उसे पता है कि अब आज नहीं तो कल सरकार तो उसकी बन ही जाएगी। अब शिवसेना के दो फाड़ होने के बाद उसे सत्ता से कोई भी दूर नहीं रख सकता है बिना उसके सहयोग के अब राज्य में कोई भी सरकार संभव नहीं है। न शिवसेना (ठाकरे) न शिवसेना (शिंदे) और न उनके अब तक के सहयोगी रहे एनसीपी और कांग्रेस। भाजपा ने मुख्यमंत्री पद छोड़कर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। इसका पहला तो यही संदेश जनता में गया है कि यह सब महाभारत जो महाराष्ट्र में हुई उसमें भाजपा की कोई भूमिका नहीं थी। अगर होती तो वह अपनी सरकार बनाती जिसके फडणवीस मुख्यमंत्री होते। उसने तो महाराष्ट्र को राजनीतिक अस्थिरता से बचाने के लिए शिंदे को समर्थन दिया था। महाराष्ट्र के सियासी संकट को जो लोग ऑपरेशन लोटस का नाम दे रहे थे वह गलत थे। भाजपा द्वारा शिंदे को सीएम की कुर्सी देकर शिवसेना की जंग को अब उस मुकाम तक ला दिया गया है जो अब कभी खत्म नहीं हो सकती है और न शिंदे और न ठाकरे के बीच कभी समझौता या एका संभव है अब दोनों को ही असली शिवसेना मेरी है, के मुद्दे पर सिर्फ लड़ते रहना है जिसका पूरा फायदा आने वाले समय में सिर्फ भाजपा को ही मिलना है। अभी वर्तमान सरकार का लंबा कार्यकाल शेष बचा है। जो भाजपा को इस बात का मौका भी दे सकता था कि शिंदे के साथ खड़ी शिवसेना के विधायकों में से कुछ कल भाजपा के पाले में खड़े दिखाई देते और शिव सैनिकों का वह गुट जो शिंदे के साथ है कहीं का भी ना रहे। क्योंकि यह राजनीति है और इसमें कुछ भी असंभव नहीं होता है। भले ही भाजपा को शिवसेना सरकार गठन के साथ पटकनी देकर ठाकरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने में सफलता हासिल कर ली सही लेकिन उसकी इतनी बड़ी कीमत उसे चुकानी पड़ेगी ठाकरे परिवार और शिवसेना ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। देवेंद्र फडणवीस जो पहले सीएम बनते बनते रह गए थे एक बार फिर सीएम बनते बनते रह गए उन्हें भले ही भाजपा का यह फैसला नागवार लग रहा हो, लेकिन उनके पास भी पार्टी का आदेश मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हो सकता है कि इन कड़वे घूटों को पीने का उन्हें भविष्य में कुछ फायदा मिले लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि शिवसेना का अब क्या होगा? जिसकी सारी हेकड़ी शिंदे निकाल चुके हैं और जो बाकी बची है उसे भाजपा अब निकाल कर ही रहेगी यह साफ हो गया है। लेकिन अब इस स्थिति के लिए कोई और नहीं खुद शिवसेना ही जिम्मेवार है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here