इलेक्टोरल बांड को लेकर सियासी पारा हाई

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इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर इन दिनों सियासी पारा हाई हो रखा है। दरअसल लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राजनीतिक दलों को दिए गए चंदे को लेकर जानकारियां सार्वजनिक की जा रही हैं। इसको लेकर देश की सर्वाेच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट भी सख्त नजर आ रहा है। इस बीच राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी बॉन्ड को लेकर अजीब जवाब सामने आ रहे हैं। बता दे कि हाल हाल में ही चुनाव आयोग ने अलग—अलग राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी बॉन्ड को लेकर दिए गए बंद लिफाफों को सार्वजनिक किया गया। इसमें पॉलिटिकल पार्टी ने कितना चंदा लिया है इसकी अहम जानकारी भी सामने आई। हालांकि राजनीति दलों की ओर से इन जानकारियों से जुड़े जवाब हैरान करने वाले थे। राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आयोग को देनदारों के नाम नहीं बताने या फिर छिपाने के चक्कर में अजीब जवाब दिए गए हैं। कुछ राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग को बताया गया कि हमें नहीं पता कौन हमारे ऑफिस में आया और करोड़ों रुपए के बॉन्ड देकर चला गया। बीते लोकसभा चुनाव के दौरान आए चुनावी बॉन्ड को लेकर इन राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग को जो जानकारी दी गयी है वह बेहद चौंकाने वाली है। इन राजनीतिक दलों के मुताबिक उनको दान देने वाला कोई अनजान शख्स था। एक राजनीतिक दल के सुप्रीमो का कहना है कि किसी ने उनके दफ्तर में आकर सीलबंद चुनावी बॉन्ड रख दिए, यह किसने दिया इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होने कहा कि जुलाई 2018 व मई 2019 के बीच उनकी पार्टी को चुनावी बॉन्ड के जरिए 75 करोड़ रुपए का दान दिया गया था। वहीं दूसरे राजनीतिक दल के प्रमुख ने भी चुनावी बॉन्ड को लेकर अजीब सा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अप्रैल 2019 में 13 करोड़ में से 3 करोड़ रुपए के दानदाताओं के नाम तो हमें पता हैं, लेकिन 10 करोड़ रुपए कौन आकर दफ्तर में रख गया इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इन बातों से समझ में आता है कि इन इलेक्टोरल बांड को लेकर राजनीतिक हल्कों में हलचल का माहौल बना हुआ है। वहीं देश की जनता को भी इन इलेक्टोरल बांड के बारे में जानकारियां उपलब्ध हो रही है।

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