हम बीते कई दशक से महिला सशक्तिकरण जैसे शब्दों को सुनते आ रहे हैं। कभी राजनीति में महिलाओं के आरक्षण के नाम पर यह मुद्दा चर्चाओं के केंद्र में होता है तो कभी सेनाओं में महिलाओं को कमीशन दिए जाने के मुद्दे पर इस विषय पर चर्चा होती है। इस आधी आबादी को अपना अस्तित्व स्थापित करने के लिए दुनिया भर में पुरुष प्रधान समाज से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से तमाम मोर्चों पर जंग लड़नी पड़ रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि आज भारत सहित अनेक देशों में महिलाओं ने अपनी मेहनत, लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति से स्वयं की शक्ति का लोहा मनवाने में कामयाबी हासिल की है लेकिन अभी भी अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे कई देश हैं जहां वह अपने मूल अधिकारों से भी वंचित हैं। अभी 4 दिन पूर्व भारत की लेखिका गीतांजलि श्री को विश्व का सर्वाेच्च साहित्य पुरस्कार बुकर से सम्मानित किया गया। एक हिंदी उपन्यास रेत समाधि के लिए एक भारतीय महिला को मिले इस सम्मान से महिलाओं को कितनी शक्ति मिली, अलग बात है लेकिन यह महिला सशक्तिकरण के पथ पर एक ऐसा हस्ताक्षर है जिस पर कोई भी महिला गर्व कर सकती है। हिंदी साहित्यकारों की सूची में महादेवी वर्मा से लेकर गीतांजलि श्री तक अनेक बड़े नाम हैं। आज सेवा क्षेत्र में कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां महिलाओं ने अपने सशक्तिकरण का प्रदर्शन न किया हो। बाद चाहे कल्पना चावला की हो सुषमा स्वराज की। मिताली राज की हो या सानिया मिर्जा की, सुष्मिता सेन की हो या कंगना रनौत की अथवा निर्मला सीतारमण की। महिलाओं द्वारा हर क्षेत्र में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई गई है। बीते कुछ दशकों से हम हर बार जब बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम आते हैं तो लड़कियों ने फिर बाजी मारी या लड़किया फिर लड़कों से अव्वल रही जैसी हैडलाइन समाचारों में पढ़ते और सुनते आ रहे हैं। बीते कल यू पी एस (संघ लोक सेवा आयोग) 2021 का परिणाम घोषित हुआ है। इस परीक्षा में पहले तीन स्थानों पर लड़कियां आगे रही। बेटियों ने इस सिविल सेवा परीक्षा में वरीयता सूची में पहले तीन स्थानों पर अपना रुतबा कायम करते हुए महिला सशक्तिकरण का नया इतिहास रच डाला है। इसमें चयनित कुल 685 अभ्यर्थियों में 175 छात्राएं हैं जो कुल सफल अभ्यार्थियों का 26 फीसदी है। भले ही हम उन्हें आजादी के 25 साल बाद भी राजनीति में आरक्षण के मुद्दे पर अड़ंगेबाजी करते रहे हो लेकिन आज देश की बेटियां अपनी मेहनत और हौसलों के दम पर लंबी उड़ान भर रही हैं यह ना समाज और राष्ट्र के विकास के लिए अत्यंत ही सुखद एहसास है। आज बेटियां हवाई जहाज उड़ा रही हैं खेत में ट्रैक्टर और सड़कों पर ट्रक स्टेरिंग थामना उन्होंने सीख लिया है। सेना की वर्दी पहन कर मशीनगन थामें सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने का साहस अगर वह कर रही है तो तब उन्हें उड़ान भरने से भला कौन रोक सकता है। यूपीएस की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाली सभी बेटियों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं।