अपराध का अंत जरूरी

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पूर्वांचल में आतंक का पर्याय बने माफिया नेता अतीक अहमद ने शायद यह कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसके बेटे असद जिसे वह शेर कहता है उसे एक दिन उसके खौफ से कांपने वाली यूपी पुलिस इस तरह एनकाउंटर में ढेर कर देगी। अतीक के बेटे असद और उसके एक शूटर गुलाम को एनकाउंटर में मारे जाने की इस घटना ने राजनीति और समाज के उन सभी अपराधियों और सरगनाओं को यह संदेश जरूर दिया है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी हो जाए एक दिन उसका अंत जरूर होता है। भले ही अभी इसे अतीक के अपराधों का अंत नहीं माना जा सकता है लेकिन उसकी शुरुआत जरूर कही जा सकती है। 49 दिन पूर्व प्रयागराज की गलियों में दिनदहाड़े उमेश पाल और उसके दो अंगरक्षकों को गोलियों से भून दिया गया उसके सीसीटीवी फुटेज पूरे देश ने देखे हैं इसलिए कोई भी देशवासी यह नहीं कह सकता है कि पुलिस ने बेगुनाहों को मार डाला असद और गुलाम को इन सीसीटीवी फुटेज में साफ तौर पर गोलियंा चलाते देखा जा सकता है। उमेश हत्याकांड के चार आरोपी अब तक पुलिस ने ढेर कर दिए हैं जबकि गुड्डू मुस्लिम सहित तीन आरोपी अभी भी अपनी जान बचाने के लिए भागे फिर रहे हैं। इसका क्या हश्र होगा अभी कोई नहीं जानता है हां इतना तय है कि वह या तो किसी मुठभेड़ में ढेर कर दिए जाएंगे या फिर उनकी पूरी जिंदगी सलाखों के पीछे कटेगी। अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ अब अच्छी तरह से इस बात को समझ चुके हैं कि उनके गुनाहों का अब हिसाब किताब शुरू हो चुका है और अब अंतिम मुकाम तक पहुंच कर रहेगा। राजनीति और समाज में इस तरह के अपराधों और अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए लेकिन यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि देश में अपराधियों के सामने शासन—प्रशासन नतमस्तक होता रहा है और राजनीति उन्हें शरण देती रही है। अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो आज अतीक अहमद, अतीक अहमद नहीं बना होता। अपने भाई के साथ वह खुद तो जेल में है ही जहां से अब उसके जीवन पर्यंात बाहर आने की संभावनाएं समाप्त हो चुकी हैं वहीं उसके दो बेटे भी जेल में हैं तथा पत्नी के सिर पर भी 50 हजार का इनाम घोषित हो चुका है और वह फरार है। यही नहीं उसके नाते रिश्तेदार तक या तो हवालात में है या फिर जेल में है। आज अगर अतीक और उसका परिवार इस पर गौर करेगी सैकड़ों अपराधों और उस दबंगई जिसके कारण कोई उसके खिलाफ एक शब्द भी बोलने को तैयार नहीं होता था उससे उसे और उसके परिवार को क्या हासिल हुआ? राजनीति और समाज से अपराधियों का सफाया हो यह सभी चाहते हैं। देश के सुप्रीम कोर्ट से लेकर निर्वाचन आयोग तक कई दशकों से इस मुद्दे पर चिंतन मंथन कर रहे हैं लेकिन देश के नेता इस पर कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं होने देते हैं। अपराधियों को विधायक और सांसद बनाने का काम जिस दिन राजनीतिक दल बंद कर देंगे उसी दिन समस्या का आधा अंत हो जाएगा। अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण समाप्त होते ही फिर आधी समस्या का अंत पुलिस प्रशासन कर देगा।

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