बीते कल से विपक्ष द्वारा विधानसभा में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सवाल उठाते हुए सरकार की घेराबंदी की जा रही है। विपक्ष सदन में अपराधों के आंकड़े और घटनाओं को लेकर सरकार पर आरोप लगा रहा था कि बीते आठ महीनों से राज्य में 269 महिलाओं के अपरहण, 139 हत्याएं और 554 दुष्कर्म के मामले सामने आए हैं। ऐसे में आम आदमी भला कैसे अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकता है। लेकिन सत्ता में बैठे लोगों का कहना था कि राज्य में पहले की तुलना में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर हुई है। वह इस सच को मानने के लिए तैयार नहीं थे कि कानून व्यवस्था की स्थिति खराब है। कल जिस कानून व्यवस्था को लेकर विधानसभा भवन में पक्ष—विपक्ष आमने—सामने थे उस विधानसभा से महज 10 मिनट की दूरी पर कारगी क्षेत्र में एक नंवी कक्षा की छात्रा पर दो बदमाशों द्वारा हमला कर दिया जाता है जिसमें वह बाल—बाल बच जाती है छात्रा पर किए गए फायर में उसे मामूली चोट ही आती है। वही राजधानी पुलिस गुच्चुपानी क्षेत्र से एक युवक की लाश बरामद करती है। जो दो दिन से लापता था। यह घटनाएं इस बात का सबूत है कि कानून व्यवस्था की हकीकत क्या है? अभी ढाई महीने पूर्व प्रकाश में आए अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर सूबे में भारी हंगामे की स्थिति देखी गई थी। इस हत्याकांड के आरोपी सत्तापक्ष से ताल्लुक रखते हैं, इस अति जघन्य अपराध से जुड़े आरोपियों को भले ही भाजपा द्वारा पार्टी से निकाल दिया गया हो या उन्हें पदों से हटा दिया गया हो लेकिन सत्ता पक्ष की यह कार्रवाई अपनी पार्टी की छवि बचाने के प्रयास के तौर पर देखी जा रही है। अंकिता भंडारी के साथ क्या—क्या हुआ इसे कोई नहीं जानता है? आरोपियों की गढ़ी गई कहानी जिसमें वह अंकिता को जिंदा नहर में फेंकने की बात कह रहे है, के आगे और पीछे की हकीकत क्या है इसका पता एसआईटी भी नहीं लगा सकी थी। लेकिन यह सच है कि अंकिता को बेवजह नहीं मारा होगा यह सभी जानते हैं। जसपुर में यूपी की पुलिस दबिश के लिए आती है और एक महिला की हत्या कर चली जाती है। हरिद्वार जिले में जहरीली शराब पीने से 40 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है अल्मोड़ा के सल्ट में जगदीश की हत्या हो जाती है और उत्तरकाशी के डूंडा में एक युवती से बलात्कार होता है लेकिन पीड़ितों को कोई सहायता नहीं मिल पाती है और तो और काबीना मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल जो कानून व्यवस्था को पहले से बेहतर बता रहे हैं उनके भाई के घर दिनदहाड़े लाखों की डकैती हो जाती है फिर भी कानून व्यवस्था को बेहतर बताया जाता है तब ऐसी स्थिति में सरकार और पुलिस प्रशासन से क्या अपेक्षा की जा सकती है कि वह इसमें सुधार के कोई प्रयास करेंगे।