दिशाहीन पीढ़ी, दर्दनाक अंत की ओर

0
247


श्रद्धा मर्डर केस उस असामाजिक और अनैतिक सोच की परिणीति है जिसने डेटिंग एप और लिव इन रिलेशनशिप जैसी कुरीतियों को जन्म दिया है। उन्मुक्त जीवन की चाह देश के युवाओं को न सिर्फ अपनी सभ्यता और सामाजिक व्यवस्थाओं से दूर ले जा रही है बल्कि उन्हें नशा और अपराध के अंधेरों में धकेल रही है। यह कितना हैरान करने वाला है कि श्रद्धा के परिजनों को उसकी हत्या के कई महीनों बाद तक यह पता नहीं चल सका कि वह महीनों से लापता है। श्रद्धा जो मुंबई में एक डेटिंग ऐप के जरिए आफताब नाम के लड़के के संपर्क में आई और कई साल तक लिव इन रिलेशनशिप में रही और फिर आफताब ने उसकी हत्या कर उसके शव के 35 टुकड़े कर महरौली के जंगलों में फेंक दिए। अपराधी ने एक सुनियोजित तरीके से न सिर्फ अपराध किया बल्कि उसके सबूत भी मिटा दिए गए तथा फिर से डेटिंग एप पर सक्रिय होकर एक दूसरी लड़की को अपने प्रेम जाल में फंसा लिया। श्रद्धा की खोज खबर में अगर उसके कुछ दोस्त परिजनों को जानकारी न देते तो इस केस का अभी खुलासा भी नहीं हो पाता। खैर अब आरोपी पुलिस गिरफ्त में है और उसने अपराध कबूल कर लिया है तथा उसकी निशानदेही पर पुलिस श्रद्धा के शरीर के कुछ हिस्से बरामद भी कर चुकी है। यह दीगर बात है कि पुलिस उसको अपराधी साबित कर पाती है या नहीं। अभी बीते साल उत्तर प्रदेश के मेरठ में भी एक सनसनीखेज वारदात का खुलासा हुआ था जहां एक मुस्लिम युवक द्वारा अपने प्रेम जाल में फंसा कर एक हिंदू लड़की का सालों तक शारीरिक शोषण किया गया और जब लड़की ने शादी का दबाव बनाया तो उसकी हत्या कर अपने घर के बेडरूम में दफन कर दिया गया था। उसकी मौत का खुलासा भी लड़की की एक महिला मित्र के कारण ही हो सका था। आए दिन इस तरह की घटनाएं देश के कई हिस्सों से सामने आती रहती हैं। 12 साल पहले देहरादून में भी अनुपमा गुलाटी हत्याकांड खबरों की सुर्खियों में रहा था। जहां अनुपमा की हत्या कर उसके पति द्वारा उसके 72 टुकडे कर जंगल में फेंक दिया गया था। पहले प्रेम और विवाह और फिर हत्या के इस मामले का भी खुलासा अनुपमा से संपर्क न हो पाने के कारण ही हो सका। अनुपमा की तरह श्रद्धा के शव को भी टुकड़े कर डीप फ्रीजर में रखा गया और दो माह में उसके टुकड़े जंगल में फेंके जाने की कहानी सामने आई है। महिलाओं पर अत्याचार को लेकर तमाम कड़े कानून भी उनकी रक्षा नहीं कर पा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री गिरिराज ने श्रद्धा हत्याकांड को लव जिहाद का हिस्सा बताकर इसे एक दूसरे दृष्टिकोण से भी पेश किया है लेकिन हमारी युवा पीढ़ी इसके लिए खुद कितनी जिम्मेदार है? यह इन अपराधों के बारे में अहम पहलू है। श्रद्धा के पिता का कहना है कि उन्होंने अपनी बेटी को कहा था कि इस तरह किसी के साथ रहना या संबंध बनाना या शादी करना हमारी संस्कृति के खिलाफ है। लेकिन उसने उनकी बात अनसुनी कर दी। उन्मुक्त जीवन युवा पीढ़ी को किस दिशा में ले जा रही है? यह एक सोचनीय विषय है। उन्हें न तो प्यार के ढाई आखर का पता है कि वह किस पेड़ की चिड़िया का नाम है न सेक्स की एबीसीडी पता है और न विवाह के मायने का ज्ञान है। एक अंधी दौड़ है जो उन्हें अंधेरे में धकेल रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here