भर्ती घोटालेः युवाओं से बड़ी नाइंसाफी

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एक निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत युवाओं की सरकारी नौकरियां देने के लिए सरकार ने 2014 में जिस उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग का गठन किया था उसके अधिकारियों और कर्मचारियों ने क्या किया? इसका कच्चा चिट्ठा अब सबके सामने आ चुका है। जिसके बाद अब इस आयोग का तो अस्तित्व समाप्त हो ही चुका है लेकिन अपने 8 सालों में नौकरी के लिए कराई गई सभी 88 परीक्षाएं विवादों के घेरे में हैं। बाद सिर्फ बीपीडीओ की परीक्षा और पेपर लीक मामले तथा दरोगा भर्ती घोटाले की नहीं है जिन्हें लेकर इन दिनों आरोपियों पर कार्रवाई की जा रही है। बात उन सभी भर्तियों को लेकर है जो आयोग द्वारा कराई गई। क्योंकि इन सभी भर्तियों के पेपर छापने का काम आयोग के अधिकारियों द्वारा उस विवादित कंपनी को ही दिया गया जिसका नाम आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन है। अब तक इन तमाम घोटालों में 19 सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारियां हो चुकी है तथा कल तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। नकल माफिया के तौर पर 40 से अधिक लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं पेपर लीक मामले में पांच अन्य अधिकारियों पर जल्द मुकदमा दर्ज होने वाला है वही दरोगा भर्ती मामले में पंतनगर विश्वविघालय के डीन सहित 12 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुके है। उत्तराखंड का भर्ती घोटाला कितना बड़ा है लोग यह जानकर हैरान और परेशान हैं। खास बात यह है कि इस मामले में जहां आयोग के अधिकारियों व कर्मचारियों का जो रवैया रहा वह तो हैरान करने वाला है ही लेकिन सरकारों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। बात चाहे हरीश रावत के कार्यकाल की हो या फिर त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल की। सत्ता शीर्ष पर बैठे नेताओं को इस बात की जानकारी होने के बावजूद भी कि आयोग में क्या कुछ चल रहा है या तो उसे अनदेखा किया गया या फिर उस पर कार्यवाही की जहमत नहीं उठाई गई जो सरकारों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाता है। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं द्वारा अब इस पर सियासत की जा रही है। मुख्यमंत्री धामी केदार बाबा की सौगंध खा रहे हैं कि युवाओं के साथ धोखाधड़ी करने वालों पर तब तक कार्रवाई जारी रहेगी जब तक अंतिम आरोपी को जेल नहीं भेजा जाता। भर्ती घोटालों के आरोपों से मुक्ति और कार्यवाही कर श्रेय लेने और युवाओं की सहानुभूति बटोरने का प्रयास भाजपा द्वारा किया जा रहा है व जांच पर सवाल उठाने वालों के मुंह पर इस जांच कार्य को तमाचा बता रहे हैं वहीं कांग्रेसी भर्ती घोटालों में भाजपा नेताओं की संलिप्तता के सवाल पर भाजपा की घेराबंदी कर रही है। अच्छा होता कि सरकार हरियाणा और जम्मू कश्मीर के भर्ती घोटालों जैसा कोई उदाहरण पेश करती। जिसमें बड़ी संवैधानिक कार्यवाही की गई है सही मायनों में राज्य के युवाओं के साथ नाइंसाफी की मिसाल बन गए हैं यह घोटाले। जांच कहां तक पहुंचेगी यह तो समय ही बताएगा।

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