समाधान व सद्भाव दोनों जरूरी

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वाराणसी जिला अदालत द्वारा ज्ञानवापी विवाद पर जो फैसला दिया गया उससे यह साफ हो चुका है कि धर्म स्थलों के विवाद अब समाधान की ओर बढ़ चले हैं। धार्मिक कटृरता को बढ़ावा देने वाले इन तमाम विवादों का समाधान अगर अदालतों के जरिए आपसी सद्भाव को बनाए रखकर नहीं निकाला गया तो यह विवाद देश की एकता और अखंडता के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। ज्ञानवापी पर आया फैसला भले ही व्यवहारिकता के अनुकूल है लेकिन इस फैसले से 1991 का वार्षिप एक्ट निष्प्रभावी हो जाता हैै। जिस श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना का अधिकार हिंदुओं को मिलने जा रहा है उस का मुख्य आधार है ज्ञानवापी में श्रृंगार गौरी की उपस्थिति की स्वीकारोक्ति। सवाल यह है कि अगर ज्ञानवापी में श्रृंगार गौरी की उपस्थिति (मौजूदगी) नहीं है तो वहंा हिंदुओं को साल में 1 दिन पूजा की अनुमति क्यों है। जब श्रृंगार गौरी की 1 दिन पूजा की जा सकती है तो पूरे साल यानी 365 दिन क्यों नहीं। ज्ञानवापी पर आए इस कल के फैसले से यह साफ हो गया है कि देश भर में काशी, मथुरा और कुतुब मीनार सहित जो अन्य 10 प्रमुख विवाद हैं उनको तूल मिलना तय है। यही कारण है कि ज्ञानवापी का यह फैसला हिंदू मुस्लिम की राजनीति पर आ गया है। अंजुमन इंतजामियां समिति जिस मुद्दे को लेकर इस लड़ाई को लड़ रही थी उसकी याचिका को अदालत ने यह कहकर खारिज कर दिया कि वार्षिप एक्ट की रोशनी में किसी से पूजा का अधिकार नहीं छीना जा सकता है अदालत वार्षिप एक्ट पर फैसला नहीं दे रही है। अब सीधी सी बात है अंजुमन इंतजामियां समिति यह साबित करें कि ज्ञानवापी में श्रृंगार गौरी का अस्तित्व या उपस्थिति नहीं है और यह सिद्ध करने के लिए उसे सबूत देने होंगे। समिति अब इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की बात कह रही है। ऐसी सूरत में अब अदालतों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। क्योंकि उन्हें न सिर्फ यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह के विवादों के चलते देश का सांप्रदायिक माहौल न बिगड़ने पाए। क्योंकि ऐसे मामलों को लेकर देश के लोग पहले भी बहुत कुछ झेल चुके हैं वहीं दूसरी बड़ी जिम्मेवारी इन सभी मसलों का समाधान भी अदालतों को ही करना है क्योंकि यह मुद्दा इतना संवेदनशील है कि इसे जनता पर आपसी सूझबूझ से ही निकालने पर नहीं छोड़ा जा सकता है। यही नहीं इन मुद्दों पर राजनीति का हावी होना भी तय है क्योंकि देश में पहले ही अब मथुरा और काशी की बारी जैसे नारों की गूंज सुनाई दे रही है। देश में इस वक्त कटृरता पहले ही चरम पर है और सर तन से जुदा करने जैसी बातों को हवा दी जा रही है ऐसे समय में जब देश विकास की ओर कदम बढ़ा रहा है सामाजिक समरसता और सुरक्षा अत्यंत जरूरी ह

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