- प्रेमचंद के खेद जताने पर भी हंगामा जारी
- कई स्थानों पर पुतला दहन व प्रदर्शन
- विधानसभा अध्यक्ष ने जताई नाराजगी
देहरादून। बीते कल विधानसभा सत्र के दौरान देसी और पहाड़ी के मुद्दे पर संसदीय कार्य मंत्री और कांग्रेस विधायक के बीच हुई कहां सुनी के मुद्दे पर राजनीतिक माहौल इतना अधिक गरमा गया है कि जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हस्तक्षेप करना पड़ा वहीं संसदीय कार्य मंत्री ने भी सदन में इस पर अपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि उनका मकसद किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था। उनके वक्तव्य का गलत मतलब निकाला गया। फिर भी अगर किसी की भावनाएं आहत हुई है तो इसके लिए वह हृदय से खेद व्यक्त करते हैं।
संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद की सफाई और खेद जताने के बाद भी यह मामला समाप्त नहीं हुआ। कांग्रेस के कुछ विधायकों ने आज फिर इस मुद्दे पर सदन में प्रेमचंद अग्रवाल को घेरना शुरू कर दिया। कांग्रेस विधायक लखपत बुटोला का कहना था कि वह पहाड़ के लोगों का अपमान कतई भी बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। क्षेत्र के लोग इस कदर नाराज हैं कि वह हमारे सदन में आने पर भी हमें कह रहे हैं कि जाओ और गालियां खाओ। सदन में खड़े होकर जब कांग्रेस विधायक अपनी भड़ास निकाल रहे थे उसे समय स्पीकर ऋतु खंडूरी द्वारा उन्हें बार—बार बैठने को कहा गया और वह जब अध्यक्षा की बात नहीं सुन रहे थे तो वह भी आसन से उठकर खड़ी हो गई तथा कांग्रेस विधायक को उन्होंने जमकर लताड़ा। अध्यक्षा ने कहा कि जब मंत्री इस मुद्दे पर खेद प्रकट कर चुके हैं तो मामला खत्म हो जाना चाहिए फिर भी आप बोले जा रहे हैं यह सदन भाषण करने की जगह नहीं है। इस पर भड़के कांग्रेस विधायक ने कहा कि वह ऐसे सदन में नहीं रह सकते तो स्पीकर ने उन्हें बाहर जाने को कह दिया और विधायक ने कागज फाड़ कर फेंक दिए तथा सदन से बाहर चले आए।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के सामने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर मंत्री से बात की थी तथा उन्होंने अपनी सफाई में जो कुछ कहना था सदन में कह दिया है। फिर भी अगर आपको कुछ कहना या पूछना है तो उनसे बात कर सकते हैं।

दरअसल इस मुद्दे को सोशल प्लेटफॉर्म पर हवा दिए जाने से मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ आमजन में एक नाराजगी का माहौल भी बन चुका है तथा इसे लेकर आज चमोली के जोशीमठ से लेकर हरिद्वार तक कई जगह प्रदर्शन व पुतले दहन किए गए हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि इस मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है। तथा यह मुद्दा भाजपा और कांग्रेस के बीच एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है या फिर बना दिया गया है।





