बीते साल कोरोना के कारण पूरे सीजन यात्रा बंद रही। इस साल में अभी तक यात्रा बंद है जबकि चारों धामों के कपाट बंद होने में सिर्फ डेढ़ माह के करीब समय शेष बचा है। कोरोना की दूसरी लहर के कारण चार धाम यात्रा का शुभारंभ समय पर नहीं हो सका। सिर्फ सांकेतिक तौर पर चारों धामों के कपाट खोले जा सके। कोरोना की दूसरी लहर के विस्फोट और महाकुंभ के आयोजन में उलझी उत्तराखंड सरकार इस बार चार धाम यात्रा की तैयारियां भी ठीक से नहीं कर सकी, शायद सत्ता में बैठे लोगों ने यह सोच लिया था कि कोरोना के कारण यात्रा का शुरू किया जाना संभव नहीं है इसलिए तैयारियों की भी कोई जरूरत नहीं है। इसके अलावा सरकार का ध्यान सत्ता में मुख्यमंत्रियों के चेहरों की अदला बदली में ज्यादा उलझा रहा और चार धाम यात्रा की तरफ नहीं रहा। सत्ता में बैठे लोगों को आने वाले चुनाव की चिंता ज्यादा ही हावी थी। त्रिवेंद्र सरकार के चार साल की नाकामियां और उनके फैसलों से उपजे विवादों के कारण भाजपा को लग रहा था कि अगर तुरंत कुछ नहीं किया तो उसका चुनावी गणित गड़बड़ा जाएगा। पुष्कर धामी के कमान संभालने के बाद चार धाम यात्रा को शुरू करने का यह मामला अदालती फैसलों में उलझ कर रह गया। नैनीताल हाईकोर्ट के द्वारा सरकार से जब यात्रा की तैयारियों पर जानकारी मांगी गई तो सरकार की तैयारियों से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ और उसने यात्रा पर रोक लगा दी। 26 जून को लगाई गई इस रोक के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। लेकिन वहां भी उनकी याचिका पर अभी तक सुनवाई नहीं हो सकी है। अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी एस पी एल वापस ले ली है और फिर हाईकोर्ट से यात्रा शुरू करने की अपील की है। सच कहा जाए तो यह मामला सरकार ने खुद ही अदालती दाव पेंचो में उलझाया है और उनकी मंशा ही नहीं रही है कि चारधाम यात्रा इस साल शुरू हो। यह तो अब स्थानीय लोगों व्यवसायियों और तीर्थ पुरोहितों तथा कांग्रेस द्वारा बनाए गए दबाव की वजह है कि सरकार अब यात्रा शुरू कराने पर विचार कर रही है। नैनीताल हाई कोर्ट अब इस मामले पर 16 सितंबर को सुनवाई करने जा रहा है। सवाल यह है कि जब स्कूल कॉलेज और होटल तथा बाजार सब खुल चुके है। राजनीतिक दलों की जन आशीर्वाद व परिवर्तन यात्राएं शुरू हो गई है कहीं कोरोना के कारण कोई पाबंदी नहीं रह गई है फिर भी सरकार चार धाम यात्रा को लेकर सोई क्यों पड़ी है? एक अन्य सवाल यह भी है कि क्या वर्तमान में चार धाम यात्रा शुरू करने की स्थितियां है? जब मानसूनी कहर के कारण तमाम सड़कें ध्वस्त पड़ी है भारी भूस्खलन हो रहा है पुल पुलिया टूटे पड़े हैं यात्रियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं का कोई इंतजाम नहीं है क्या यात्रा शुरू की जा सकती है? भले ही कोर्ट इसकी इजाजत दे दे लेकिन बिना किसी तैयारी के यात्रा शुरू हुई तो यह अत्यंत ही जोखिम पूर्ण फैसला होगा।