सरकार व संगठन दोनों ही हुए असहज
कांग्रेसी कर रहे हैं घेराबंदी की तैयारी
देहरादून। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की बेबाकी अब भाजपा पर भारी पड़ रही है। उनके बयान और वायरल हो रहे वीडियो ने सूबे की धामी सरकार और संगठन दोनों को असहज कर दिया है। भाजपा के रणवीरोंं के पास अब इस मुद्दे पर अपना बचाव करने के लिए शब्द नहीं रहे हैं वहीं विपक्ष को उनके इस वीडियो ने बैठे—बिठाए ही एक गरमा गरम राजनीति का मुद्दा दे दिया है जिसे लेकर विपक्ष कांग्रेस के नेता हमलावर है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत साफ—साफ यह कहते दिख रहे हैं कि राज्य गठन से पहले जो कमीशन खोरी होती थी वह 20 फीसदी थी। राज्य गठन के बाद यह शून्य होनी चाहिए थी लेकिन हम भी 20 फीसदी से ही शुरू हो गए। उनके इस बयान से साफ कहा गया है कि राज्य में कोई भी काम बिना कमीशन के नहीं होता है जो अब पहले से भी अधिक हो चुका है। भले ही तीरथ सिंह रावत ने एक कड़वा सच उजागर किया हो लेकिन यह सच इतना ज्यादा कड़वा है कि इसे पचा पाना सरकार व भाजपा के लिए तो संभव है ही नहीं। उन्हे इस पर कोई जवाब देते हुए भी नहीं बन पा रहा है।
खास बात यह है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा भी इसका समर्थन किया जा रहा है। त्रिवेंद्र सिंह रावत इस मुद्दे पर किए गए सवाल के जवाब में व्यंग्यात्मक अंदाज में कहते हैं कि धामी सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है खूब चौके छक्के उड़ाए जा रहे हैं। साथ ही कहते हैं कि भ्रष्टाचार पर हमारी सरकार को जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करना चाहिए। इससे पूर्व उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार ने राज्य को खोखला कर दिया है। भाजपा नेताओं के इस तरह के बयानों पर विपक्ष द्वारा भी खूब चुटकी ली जा रही है। कांग्रेस की महिला नेत्री गरिमा दसोनी का कहना है कि भाजपा नेताओं के यह बयान हमारे उन आरोपों की पुष्टि करते हैं जो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस लगाती रही है। पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि भाजपा नेता अब खुद ही अपने और भाजपा के चाल चरित्र का बखान कर रहे हैं। ऐसे में हमारे कुछ कहने को क्या रह जाता है। उल्लेखनीय है कि हरीश रावत बीते समय में सीएम धामी पर कई बार खनन प्रिय मुख्यमंत्री होने का आरोप लगाते रहे हैं।
तीरथ और त्रिवेंद्र के भ्रष्टाचार पर दिए गए इन बयानों ने भाजपा को बड़ी मुश्किल में फंसा दिया क्योंकि यह किसी मामूली कार्यकर्ता के बयान नहीं है जिनसे यह कहकर पार्टी पल्ला झाड़ सके कि इनसे भाजपा का कोई संबंध नहीं है। यह दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बयान हैं। इसलिए भाजपा ने इस मुद्दे पर अब चुप्पी साधने में ही अपनी भलाई समझी हुई है। वहीं कांग्रेसी सत्र के दौरान इस मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी की तैयारी में जुटे हैं।