लैंड जेहाद को चुनावी मुद्दा बनाने में जुटी भाजपा

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कांग्रेस का रवैया हिंदुत्व विरोधी, मंदिर तोड़ने की कर रही है बात
लैंड जेहाद को साधु संतों का भी मिल रहा है समर्थन

देहरादून। निकाय और लोकसभा चुनाव से पूर्व उत्तराखंड में जिस तरह से लैंड जेहाद के मुद्दे को भाजपा द्वारा हवा दी जा रही है और कांग्रेस को निशाने पर लिया जा रहा है उससे साफ दिखाई दे रहा है कि भाजपा एक बार फिर लैंड जेहाद के मुद्दे को धार देने में जुट गई है और आने वाले चुनावों में यह मुद्दा वोटों के ध्रुवीकरण का एक बड़ा टूल साबित हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि बीते कुछ महीनों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लगातार राज्य में जनसंख्या असंतुलन का मुद्दा उठाया जा रहा है और इस असंतुलन के कारण के रूप में अवैध मजारों और धार्मिक स्थलों की आड़ में जमीनों पर अवैध कब्जों को माना जा रहा है। सीएम धामी अब चेतावनी भरे लहजे में कह रहे हैं कि वन भूमि और सरकारी भूमि पर किए गए कब्जों को हर हाल में हटाया जाएगा और वह प्रदेश की मूल संस्कृति को किसी भी कीमत पर बिगड़ने नहीं देंगे। भाजपा के इस लैंड जेहाद के मुद्दे पर अभी कुछ कांग्रेस के नेताओं द्वारा अपनी प्रतिक्रिया में कहा गया था कि अवैध कब्जे चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय द्वारा किए गए हो सरकार सभी कब्जों को हटाए। उन मठ मंदिरों पर भी कार्रवाई की जाए जो अवैध रूप से सरकारी जमीनों पर बने हैं।
भाजपा ने कांग्रेसी नेताओं के इस बयान को झट से लपक लिया। भाजपा प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। कांग्रेस की यह हिंदुत्व विरोधी मानसिकता है कि मंदिर व मठों को तोड़ने की बात कर रही है। कहने का आशय है कि लैंड जेहाद के इस मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस के बीच वाक युद्ध की शुरुआत हो चुकी है। बीते समय से अनुभव लेते हुए कांग्रेस ने भी भाजपा की रणनीति को समझ लिया कि विधानसभा चुनाव में मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बयान को मुद्दा बनाकर कैसे उसे पटखनी देने में भाजपा सफल रही थी। यही कारण है की कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सभी नेताओं को लैंड जेहाद पर कोई प्रतिक्रिया न देने की नसीहत दी है।
उधर भाजपा के इस लैंड जेहाद के मुद्दे को साधु संतों का भी समर्थन मिल रहा है। स्वामी अवधेशानंद गिरी और साक्षी महाराज ने सीएम धामी के इस लैंड जेहाद के मुद्दे का समर्थन करते हुए कहा कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए यह जरूरी है कि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को न बिगड़ने दें। उनका कहना है कि अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को भी अपने प्रदेशों में पुष्कर सिंह धामी के मॉडल का अनुसरण करना चाहिए।

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