नई दिल्ली। कोविड—19 से निपटने को बनाया गया पीएम केयर्स फंड में भारत सरकार का फंड नहीं है। यह बात पीएमओ की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा मांगे गये एक जवाब में कही गई है।
दिल्ली हाईकोर्ट में सम्यक गंगवाल ने एक याचिका दायर की है। इसमें मांग की गई है कि पीएम केयर्स फंड में जो पैसा है, वो देश के लोगों ने दान किया है लेकिन इसमें पारदर्शिता बिल्कुल नहीं है। ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत पीएम केयर्स फंड को राज्य घोषित किया जाए। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। पीएमओ ने दिल्ली में हाईकोर्ट को बताया है कि प्राइम मिनिस्टर सिटीजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशन फंड (पीएम केयर्स फंड) भारत सरकार का फंड नहीं है बल्कि यह एक चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ा हुआ है और इसकी राशि भारत सरकार के संचित निधि में नहीं जाती है। ऐसे में पीएम केयर्स फंड को सूचना के अधिकार के दायरे में नहीं लाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अंडर सेक्रेटरी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि पीएम केयर्स फंड को न तो पब्लिक अथॉरिटी के रूप में सूचना के अधिकार के दायरे में लाया जा सकता है और न ही इसे स्टेट के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पीएम केयर्स फंड का ऑडिट एक ऑडिटर करता है, जो कि भारत के कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल पैनल से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट है। ट्रस्ट को सभी तरह के डोनेशन, ऑनलाइन भुगतान, चेक या डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से मिलते हैं। इस तरह प्राप्त राशि का ऑडिट किया जाता है और ट्रस्ट फंड के खर्च को वेबसाइट पर दिखाता है।