महज आठ फीसदी महिलाओं को दिये टिकट
देहरादून। भले ही उत्तराखंड राज्य आंदोलन में सूबे की महिलाएं बलिदान देने में पुरुषों से पीछे नहीं रही हो। लेकिन सूबे के राजनीतिक दलों और नेताओं ने उन्हें सत्ता में भागीदारी से किस तरह दूर रखा हुआ है इसका सबूत है भाजपा द्वारा सिर्फ 5 व कांग्रेस द्वारा सिर्फ 3 सीटों पर टिकट दिया जाना।
अब तक कांग्रेस 53 और भाजपा 59 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है लेकिन कुल 8 महिलाओं को दोनों दलों द्वारा टिकट दिए जाने से यह साबित हो चुका है कि मातृशक्ति की उपेक्षा में कोई भी दल पीछे नहीं है। कुल मिलाकर उनकी यह भागीदारी 8 फीसदी से भी कम बैठती है। भाजपा व कांग्रेस महिलाओं और बेटियों के लिए भले ही स्लोगन कितना भी मार्मिक गढ़ ले, लेकिन उनकी मंशा साफ है कि वह उन्हें आगे बढ़ते हुए नहीं देख सकते है।
कांग्रेस ने अभी ट्टलड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा देकर सभी का ध्यान इस ओर आकर्षित किया था। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी ने 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देखकर इसकी शुरुआत तो की है लेकिन यह शुरुआत उत्तराखंड तक आते—आते दम तोड़ देती है। जहां 53 सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने पर 3 महिलाओं को टिकट देने का काम कांग्रेस ने किया है जो महज 3 प्रतिशत ही है। क्या कांग्रेस की नीतियां सभी राज्यों के लिए अलग—अलग है। इस बाबत पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि उन्होंने जिताऊ प्रत्याशियों के आधार पर ही सूची तय की है। इससे साफ है कि उनकी कथनी कुछ होती है और करनी कुछ और।