सीएम ने किया नई शिक्षा नीति का शुभारंभ
देेहरादून। उत्तराखंड सरकार ने आज से राज्य में नई शिक्षा नीति लागू कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद नई शिक्षा नीति का शुभारंभ किया। राज्य के नौनिहालों को अब सरकार द्वारा स्कूल जाने से पहले बाल वाटिकाओं में शिक्षा के लिए तैयार किया जाएगा जिससे उनकी शिक्षा का मजबूत आधार तैयार हो सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज यहां प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के नवनिर्मित भवन में पूजा अर्चना की और भवन का लोकार्पण किया। सीएम धामी ने यहीं से आज नई शिक्षा नीति का शुभारंभ करते हुए बाल वाटिकाओं का उद्घाटन भी किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य की नई शिक्षा नीति से अब बच्चों की शिक्षा के आधार को मजबूती मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत जो प्री प्राइमरी क्लासों की व्यवस्था की गई है उसे शिक्षा को नई दिशा मिलेगी। अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों की तरह कक्षा एक में प्रवेश से पहले यह बच्चे शिक्षा के लिए मानसिक रूप से तो तैयार होंगे ही साथ ही पहली और दूसरी कक्षाओं में जितना आज वह सीख पाते हैं वह इससे पहले ही सीख चुके होंगे और उन्हें यह लगेगा कि उन्हें सब कुछ आता है। पढ़ाई को मुश्किल काम मानने और उससे बचने की प्रवृत्ति इससे समाप्त हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि नई शिक्षा नीति के तहत पहले चरण में इसकी शुरुआत आगनबाडी केंद्रों से की गई है। राज्य में 20 हजार से अधिक आंगनवाड़ी केंद्र हैं जिनमें 14 हजार से अधिक सहायक शिक्षिकाएं व 5 हजार के लगभग कार्यकत्रियों हैं जिन्हें ट्रेनिंग के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिनके कंधों पर अब राज्य के नौनिहालों के प्रारंभिक भविष्य को सवारने की जिम्मेवारी होगी। इन प्री प्राइमरी क्लासेज में बच्चों को भविष्य की शिक्षा के लिए तैयार किया जाएगा। साधारण शब्दों में इसे नर्सरी, केजी क्लासेज के रूप में कहा जा सकता है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां एनआईपी लागू की गई है। इस अवसर पर मौजूद रहे शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत का कहना है कि 1 माह के अंदर राज्य के 5 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में बाल वाटिकाओं की शुरुआत हो जाएगी। उनका कहना है कि भविष्य में यह आंगनबाड़ी केंद्र प्राथमिक पाठशालाओं के रूप में स्थापित हो जाएंगे।
उनका कहना है कि इसका सिलेवश भी तैयार है तथा इसके लिए तीन पुस्तिकाएं भी तैयार की गई हैं उन्होंने कहा कि अगर नई शिक्षा नीति के लागू होने से आम आदमी के बच्चों को बेहतर शिक्षा सरकारी स्कूलों में मिल सकेगी तो इससे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की तरफ होने वाली दौड़ को भी रोकने में सहायता मिलेगी। वही सरकारी स्कूल के प्रति उदासीनता भी दूर होगी।