सीएम कई दिनों से प्रभावितों के बीच
हरीश रावत ने भी उतारी कांग्रेस की टीम
देहरादून। चुनाव से ऐन पूर्व आसमानी आपदा से दो—चार होने से उत्तराखंड राज्य के नेताओं ने आपदा प्रभावित लोगों की मदद में भी सियासी अवसर तलाशने शुरू कर दिए हैं। सत्तारूढ़ भाजपा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित अपने सभी जिला प्रभारी मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों के दौरों और प्रभावितों तक पहुंचने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सभी प्रमुख नेता और कार्यकर्ता गांव—गांव की खाक छानते दिख रहे हैं।
बीते चार दिनों से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हर सुबह प्रभावित क्षेत्रों के दौरे कर रहे हैं तथा कई किलोमीटर पैदल पगडंडियंा नाप कर प्रभावितों तक न सिर्फ पहुंच रहे हैं बल्कि उसे ढांढस बंधाते हुए सहायता का भरोसा देते देखे जा रहे हैं। सांसद अजय भटृ और मदन कौशिक के अलावा उनके कई कैबिनेट मंत्री भी उनके इस अभियान में उनकी सहायता कर रहे हैं। कल चमोली, गोपेश्वर और पौड़ी तथा नैनीताल के कई क्षेत्रों के दौरे के बाद आज सीएम सुबह होते ही चंपावत के चिलवाड़ा गांव प्रभावितों का हाल—चाल जानने पहुंच गए। आज ही उनका पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जाने का भी कार्यक्रम है। उधर प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक आज रामपुर के सुंदरखाल व चुकुम गांव के दौरे पर हैं जहां कोसी के बीच बसे इन दोनों गांवों में कोसी नदी ने भारी तबाही मचाई है। 50 से अधिक घरों के डूबने से लोगों को भारी नुकसान हुआ है।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कल नैनीताल जनपद के कई आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था और सरकार से पीड़ितों को जल्द से जल्द सहायता राशि व सामग्री मुहैया कराने की गुहार लगाई गई थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल का कहना है कि उन्होंने अपने सभी जिलों के कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वह प्रभावित क्षेत्रों में जाकर पीड़ितों की मदद करें। प्रदेश अध्यक्ष गोदियाल और पूर्व सीएम हरीश रावत आज अल्मोड़ा जिले में प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं उनका कहना है कि प्रभावितों को जल्द से जल्द सहायता पहुंचनी चाहिए। कांग्रेसी नेताओं को जहां भी कोई कमी मिल रही है उसे शासन प्रशासन के सामने लाने का काम किया जा रहा है। पूर्व काबीना मंत्री यशपाल आर्य भी आज नैनीताल के ग्रामीण क्षेत्रों के दौरे पर हैं उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों को भारी नुकसान हुआ है जिसके कारण आम आदमी तक जरूरत का सामान नहीं पहुंच रहा है। उन्होंने इन सड़कों को जल्द ठीक कराने की ओर सरकार का ध्यान खींचा है।
चुनावी साल है इसलिए हर दल और नेता को इस आपदा काल ने स्वयं को जनता का मसीहा बनने का अवसर दिया है और तमाम नेता कर भी यही रहे हैं। चुनाव के कारण ही सही कम से कम नेता, सरकार और प्रशासन प्रभावितों तक पहुंचने और उनकी मदद में तो जुटा है। आपदा में सियासी अवसरों की तलाश में आम जनता का दुख दर्द बांटा जा रहा है यह क्या कम है? अगर आम समय होता तो शायद लोग इन नेताओं के दर्शनों को भी तरस रहे होते।