आपदा में अवसर तलाशते अमानुष

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उत्तराखंड इन दिनों एक और आपदा से आहत है। आसमान से बरसी आफत ने अब तक 50 के आसपास जिन्दगियां छीन ली हैं और सैकड़ों लोगों से उनका आशियाना छीन लिया है। जान—माल के इस भारी नुकसान के बीच चार धाम यात्रा पर आए हजारों श्रद्धालु और पर्यटक भूस्खलन के कारण बंद हुए रास्तों के चलते जगह—जगह फंसे हुए हैं। मौसम की बेरुखी की मार झेल रहे इन यात्रियों से कमरों के किराए, भोजन और टैक्सी के नाम पर जो मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं जो इनके लिए एक और बड़ी परेशानी का कारण बने हुए हैं। उत्तराखंड के लोग जितने गर्व से अपना देवभूमि के निवासी होने का परिचय देते हैं तथा अपनी सभ्यता और संस्कृति को अतिथि देवो भवः का बखान करते हैं क्या यही उसका मूल रूप है। आपदा में इस तरह के अवसर तलाशने वाले लोगों को तो साधारण मनुष्य भी नहीं कहा जा सकता है। इस तरह की अमानवीयता के लिए क्या देवभूमि कोई जगह होनी चाहिए। एक कमरे का किराया 9000 पानी की 20 रूपये की बोतल 200 रूपये में एक प्लेट मैगी 100 रूपये, टैक्सी किराया दो—तीन सौ रूपये प्रति किलोमीटर। अगर यह लूट नहीं है तो क्या है? ऐसा नहीं है कि आपदा काल में होने वाली इस तरह की यह पहली लूट है कोरोना काल में भी हम एंबुलेंस चालकों व दवाओं की कालाबाजारी करने वाले अमानुषों की लूटपाट देख चुके हैं। 2013 में केदारधाम में हुई भीषण आपदा के दौरान भी पीड़ितों से सहायता के नाम पर खूब जमकर लूटपाट हुई थी। यही नहीं कुछ लोगों ने आपदा राहत सामग्री की ऐसी लूटपाट की थी कि लाखों—लाख कमाए थे। समाज सेवा का चोला पहनकर पीड़ितों की सहायता सामग्री के इन लुटेरों के कई गिरोह सामने आए थे खैर इन लोगों को किसी सूरत में आदमी या इंसान नहीं कहा जा सकता है। इस तरह की तमाम शिकायतें मिलने पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से लेकर डीएम और आरटीओ अधिकारियों तक द्वारा इस पर संज्ञान लिया गया है तथा आपदा में फंसे यात्रियों से मनमानी वसूली करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। यह हास्यापद बात है कि एक तरफ राज्य को विश्व पर्यटन के नक्शे पर लाने की बातें किया जाना और दूसरी तरफ इस तरह की घटिया हरकतें और सोच। यह यात्री देवभूमि और यहां के लोगों की क्या छवि लेकर लौटेंगे? इससे भी इन्हें कोई सरोकार नहीं है। सवाल यह है कि क्या इस तरह की लूटपाट से इन कारोबारियों की कंगाली दूर हो जाएगी। धर्म के नाम पर इस तरह का अधर्म और अवैध कमाई करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अगर सत्ता में बैठे लोग इन पर कार्रवाई नहीं करते हैं न करें लेकिन बाबा केदार और बद्रीनारायण ऐसे लोगों को कदाचित भी माफ नहीं करते हैं।

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