उत्तराखंड राज्य गठन से लेकर अब तक के दो दशक में भाजपा व कांग्रेस बारी—बारी से सत्ता पर काबिज होती रही है। हर पांच साल सूबे में जनता ने सत्ता बदलकर जो संदेश दिया है यही है कि जनता किसी के भी काम से खुश नहीं है लेकिन उसके पास तीसरा विकल्प नहीं है। राज्य का एकमात्र क्षेत्रीय दल यूकेडी जिसे राज्य गठन के समय एक बेहतर तीसरा विकल्प माना जा रहा था वह अब यूकेडी नेताओं की सत्ता लोलुपता के कारण लगभग विलुप्त हो चुका है और बसपा का अस्तित्व भी धीरे—धीरे समाप्त होता जा रहा है। राज में इन दोनों दलों की दुर्दशा की पटकथा खुद उनके ही नेताओं द्वारा लिखी गई है। ऐसी स्थिति में राज्य को तीसरे विकल्प की सख्त जरूरत है इस बात से कतई भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि आप के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल दिल्ली में अपनी मजबूत राजनीति पकड़ के झंडे गाड़ चुके हैं अब उनकी नजर ऐसे राज्यों पर है जहां वह भले ही सत्ता में न आ सके लेकिन तीसरा विकल्प बन सकेेेेे। यही कारण है कि 2022 के विधानसभा चुनावों में वह पूरी ताकत के साथ सभी सत्तर सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। इसके लिए अपनी पार्टी के सिपाहसलार की तलाश भी कर्नल कोठियाल के रूप में कर ली गयी है। कोठियाल जिन्हें आप का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया गया है को भले ही केदारनाथ आपदा से पूर्व कोई न जानता हो लेकिन बीते सालों में उन्होंने अपने जनहित कार्यों से अपनी एक अलग छवि बनाई है। वह एक फौजी होने के साथ ईमानदार जन सेवक बन चुके हैं जिसका नाम सूबे का बच्चा—बच्चा जानता है। जिसका फायदा आप को मिलना तय है। यह फायदा कितना हो पायेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन आप के पास यह तीसरा विकल्प बनने का एक अच्छा अवसर कहा जा सकता है। अरविंद केजरीवाल जिन्होंने कल एक प्रैस वार्ता कि दौरान अपने संबोधन मेंं कहा कि भाजपा व कांग्रेस दोनों ने मिलकर बारी—बारी से उत्तराखंड राज्य को लूटा है। भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा व कांग्रेस दोनों में मिलकर प्रदेश में भ्रष्टाचार की नदियां बहा दी है। उनका संदेश साफ है कि वह भाजपा वह कांग्रेस के खिलाफ भ्रष्टाचार तथा बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा इस चुनाव में बनाने जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी यूं तो पहले भी राज्य में चुनाव लड़ चुकी है लेकिन वह प्रतिकात्मक ही था यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आप सूबे की राजनीति में एक मजबूत विकल्प बन कर उभरेगी। आप की धमक से भाजपा व कांग्रेस खेमे में थोड़ी बेचेनी जरूर देखी जा रही है।