राजनीति में अमूमन देखा तो यही जाता है कि नेता कहते कुछ हैं और करते कुछ है और अगर दौर चुनावी हो तो फिर तो कहना ही क्या? लेकिन ऐसे दौर में अगर किसी राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा सबका साथ और सबका विकास की बात करने के साथ इसकी पहल भी की जाए तो निश्चित तौर पर ऐसी पहल को बेहतरीन और सराहनीय ही कहा जा सकता है। यह पहला मर्तबा है कि उत्तराखंड के किसी मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी 70 विधायकों से अपने—अपने क्षेत्रों की 10 विकास योजनाओं के प्रस्तावों को भेजने को कहा गया है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने जो प्रस्ताव भेजने की बात कही है उसके साथ औचित्यपूर्ण शब्द का प्रयोग भी किया गया है। जिसका आशय है कि विधायकों द्वारा सिर्फ 10 योजनाओं के प्रस्ताव भेजने की औपचारिकता पूरी न की जाए। जिन योजनाओं के प्रस्ताव विधायक भेजे वह योजनाएं जरूरी व जन प्रयोजन से जुड़ी होनी चाहिए। जिससे इन पर खर्च किए जाने वाले धन का जनता के हितों के लिए उपयोग हो सके और इसका लाभ आम आदमी को मिल सके। आमतौर पर अब तक देखा यही गया है सत्तारूढ़ दल का मुखिया अपने विधायकों पर अधिक मेहरबान रहता है जबकि विपक्षी विधायकों द्वारा हमेशा ही सरकार से अपने क्षेत्र की उपेक्षा करने का आरोप लगाया जाता रहा है। दरअसल विधायक निधि से जो हर विधायक को अपने क्षेत्रों में विकास के लिए 3.75 करोड़ रुपया मिलता है उससे बहुत छोटे—छोटे काम ही कराए जा सकते हैं। विकास कार्यों के लिए इस राशि को ऊंट के मुंह में जीरा ही कहा जा सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की यह पहल सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत को पोषित करने का साक्षी है ही इसके साथ—साथ उनके उस विजन को भी हिमायत करती है जिसमें वह 2025 तक उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने की बात करते रहे हैं। इन योजना प्रस्तावों के लिए सरकार जो धन मुहैया कराएगी वह विधायक निधि से अलग होगी। मुख्यमंत्री का कहना है कि इस काम को सफलतापूर्वक करने के लिए उन्हें सभी 70 विधायकों के सहयोग की जरूरत है। जिससे राज्य के सभी क्षेत्रों का समान रूप से विकास हो सके। मुख्यमंत्री धामी की इस पहल का कांग्रेस सहित अन्य दूसरे दलों के नेताओं द्वारा समर्थन किया गया है लेकिन सवाल यही है कि जो कहा जा रहा है उसे पूरी ईमानदारी से किया भी जाता है या नहीं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जो कार्य श्ौली है वह अब तक तमाम मुख्यमंत्रियों से कुछ तो हट कर है। उनकी गाहे—बगाहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी तारीफ करते देखे गए हैं। भर्ती घोटाले के मामलों में भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी मजबूत मुहिम ने उनकी छवि को दूसरों से अलग बना दिया है। उनके ऐसे ही तेवर व कलेवर बने रहते हैं तो यह राज्य हितों के लिए अच्छे संकेत माने जा सकते हैं।