देहरादून। प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा है कि जिस तरह से हरक सिंह रावत ने आयुर्वेदिक चिकित्सकों को एलोपैथी मेडिसिन लिखने का अधिकार देने संबंधी बयान दिया है उससे डा. रावत ने इस विषम परिस्थिति में आयुर्वेद बनाम एलोपैथी की डिबेट को एक नया मोड़ दे दिया है।
प्रीतम सिंह का कहना है कि काबिना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने एकबार फिर सुर्खियां बटोरने के लिए विवादास्पद बयानबाजी कर आयुर्वेद व ऐलोपैथ के बीच जंग छेड़ दी है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त चिकित्सक एलोपैथिक दवाइयां कैसे लिख सकते हैं। जबकि उन्होंने ऐसी पढ़ाई नहीं की है और न ऐसी डिग्री हासिल की है। एलोपैथी तथा आयुर्वेद का अपना अलग—अलग क्षेत्र है। दोनों ही अपने क्षेत्रों से जुड़कर समाज की सेवा करते हैं। सरकार के इस तरीके के फैसले इनके बीच के सामंजस्य को तोड़ने का काम कर सकते हैं, जोकि आज की परिस्थितियों के लिए उचित नहीं ठहराये जा सकते है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि आज देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है और विशेषज्ञों द्वारा तीसरी लहर की संभावना जताई जा रही है ऐसी स्थिति में आयुर्वेद और एलोपैथी को साथ मिलकर इस जंग को जीतना चाहिए ना कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए इनका राजनीतिकरण किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि एलोपैथी और आयुर्वेद को मिक्स कर देने से सबसे ज्यादा नुकसान आम जनमानस का होगा सरकार का यह कदम उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि अपने इस निर्णय के लिए सरकार कटघरे में खड़ी है तथा सर्वाेच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय भी कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि आयुर्वेदिक चिकित्सक एलोपैथिक तरीके और दवाइयों का इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि उन्होंने वह ज्ञान प्राप्त नहीं किया है। उन्होने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा एक प्राचीन चिकित्सा है जिसकी अपनी अलग चिकित्सा प्रणाली है जिससे कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
चिकित्सा के क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि जो जिस क्षेत्र में निपुण है उसे उसी के अनुरूप उपचार करना चाहिए यही आम जनमानस के हित में भी होगा। राजनीति से प्रेरित होकर कोई भी फैसला जो जनहित मे नहीं हो उसका कांग्रेस पार्टी विरोध करती है।