देहरादून। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के 7 माह पूरे होने पर किसानों द्वारा आज देश की राजधानी दिल्ली सहित तमाम राज्य की सरकारों के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया तथा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया, जिसे रोष—पत्र का नाम दिया गया है। इस दौरान कई जगह किसानों को हिरासत में लिए जाने और सांकेतिक गिरफ्तारियों की खबरें हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले इस आंदोलन में भारतीय किसान यूनियन सहित कई किसान संगठन शामिल है। उत्तराखंड की राजधानी दून में भी आज बड़ी संख्या में उधमसिंहनगर, हरिद्वार और नैनीताल से किसान पहुंचे जिन्होंने राजभवन कूच किया। इन किसानों को पुलिस द्वारा हाथीबड़कला पुलिस चौकी के पास रोक दिया गया जहां उन्होंने सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
संयुक्त मोर्चा गाजीपुर बॉर्डर के प्रतिनिधि और उधम सिंह नगर के किसान नेता जगतार सिंह बाजवा का कहना है कि देश का किसान 7 महीने से सड़कों पर आंदोलन कर रहा है लेकिन सत्ता में बैठे लोग उसकी आवाज सुनने को तैयार नहीं है उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने किसानों को इमरजेंसी जैसे हालात का एहसास करा दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में भी किसानों ने देश की 140 करोड़ आबादी को खाने के लिए अन्न उपलब्ध कराया है। 7 माह में आंदोलन के दौरान 500 किसानों की जान जा चुकी है। किसानों के इस आंदोलन को कभी आतंकियों के समर्थन से जोड़ा जा रहा है तो कहीं इन किसानों को पीटा जा रहा है और जेल भेजा जा रहा है। जो देश के अन्नदाताओं के साथ घोर अन्याय है।
इन किसानों का कहना है कि उनका यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक इन तीनों कानूनों को रद्द नहीं किया जाता है तथा फसलों के समर्थन मूल्य का कानून नहीं लाया जाता। किसान नेताओं ने साफ कहा कि आने वाले चुनावों में वह जनता से अपील करेंगे कि वह उस भाजपा को वोट न दें। जिसकी कथनी और करनी कुछ और हो। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है। हम राज्यपाल को ज्ञापन देना चाहते हैं लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद भी उन्हें आगे नहीं जाने दिया जा रहा है। इस दौरान पुलिस के साथ किसानों की तीखी नोकझोंक भी हुई तथा पुलिस ने इन किसानों को गिरफ्तार कर लिया है।