देहरादून। राजधानी के बाजार इन दिनों हमेशा की तरह गुलजार हैं। लोगों को न कोरोना संक्रमण का डर है न अपनी जान की परवाह। पूरा दिन जुट रही भीड़ का आलम यह है कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को भी त्याग दिया है।
कोविड की पहली लहर के बाद से ही जब वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों ने लोगों को चेताया था कि सावधानी बरतें अन्यथा दूसरी लहर बेहद खतरनाक हो सकती है लेकिन इस चेतावनी पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। लोग बेफिक्र हो गये और मास्क, सैनिटाइजर, सोशल डिस्टेंसिंग सभी कुछ ताक पर रख दिया। बाजार में हर दिन उमड़ने वाली लापरवाह भीड़ ने एक बार फिर से दूसरी लहर को आमंत्रण दे दिया और कई लोगों की जान ले ली। इस दौरान लोग सरकार और स्वास्थ्य विभाग को कोसते रहे लेकिन अपनी लापरवाही को किसी ने भी जिम्मेदार नहीं माना।
कोविड का दूसरा दौर इतना भयावह था कि कोरोना संक्रमण का नाम सुनते ही लोग कांप जाते थे लेकिन फिर भी कोई संभला नहीं। नतीजा अस्पतालों में लगने वाली कोरोना संक्रमितों की भीड़ और ऑक्सीजन न मिलने पर तड़प—तड़प कर लोगों की मौतों के रूप में सामने आया। राजधानी के अस्पतालों के बाहर एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडरों के साथ बैठे नजर आते थे। अस्पतालों में ऑक्सीजन बैड की कमी के चलते अस्पताल के बाहर ऐसा नजारा भी आम हो गया था। यहां तक कि ऑक्सीजन सिलेंडर मिलने भी मुश्किल हो गये थे तो वहीं ऑक्सीजन सिलेंडरों को भरवाने के लिए लोगों को मुहमांगा दाम भी चुकाना पड़ा।
इतनी भयावह दौर से गुजर चुके दूनवासियों ने अब एक बार फिर से बेफिक्री की चादर ओढ़ ली है। बाजार में रोजाना उमड़ रही भीड़ को देख कर तो यही लग रहा है कि तीसरी लहर के आने की चेतावनी का किसी पर कोई असर नहीं है। कोरोना की तीसरी लहर के लिए विशेषज्ञों द्वारा दूसरी लहर के दौरान की ऐलान कर दिया था कि अगर संभले नहीं तो एक और घातक लहर का सामना करना पड़ेगा लेकिन लोग अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। देर रात तक सड़कों पर फर्राटा भरते वाहन और सड़कों पर घूमते लोगों को देख कर लग रहा है कि इन्हें तीसरी लहर की कोई चिंता नहीें है।