दून में चढ़ा सियासी पाराः सीएम—सीएम के खेल में उलझी जनता

0
445

देहरादून। राजधानी का पारा भले ही बारिश होने के बाद से थोड़ा लुढ़क गया हो लेकिन सियासी उठापटक के चलते अटकलों का बाजार पूरी तरह से गरमा रखा है और सीएम की कुर्सी पर टकटकी लगाए बैठे विधायकों के पसीने छूटा रखे हैं। निवर्तमान सीएम तीरथ सिंह रावत को जब अचानक दिल्ली से बुलावा आया तो उत्तराखण्ड में तभी से नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट सुनाई देने लगी थी।
राजनीतिक हलकों में दबी जुबान से तो सोशल प्लेटफार्म में जोरदार तरीके से तीरथ सिंह रावत के दिल्ली दरबार में तलब किए जाने और पद से हटाए जाने की चर्चा चल रही थी। राजनीतिक घटनाक्रम इस तेजी से घटा कि आज पूरा दिन राजनैतिक दलों के साथ ही आम जनता भी खबर पर कान लगाए बैठी रही कि पांच साल में प्रदेश का तीसरा और नौ महीने के लिए मुखिया की कमान किसे सौंपी जाएगी।
सीएम बनने के बाद से जब—जब जनसभाओं में तीरथ सिंह रावत की जुबान फिसली उतनी ही बार भाजपा की किरकिरी हुई। जिसके चलते हाईकमान की नाराजगी भी सामने आ गई। पिछले कई दिनों से यह बात उठ रही थी कि सीएम के चुनाव लड़ने पर अब संवैधानिक संकट है तो तब ही से यह भी कहा जाने लगा था कि तीरथ सिंह रावत को हटा कर नया सीएम बनाया जाएगा। वजह जो भी हो लेकिन तीरथ का हटना तय था। अब अचानक हुए बदलाव के बाद एक बार फिर नये सीएम के लिए मंथन का दौर चल रहा है। राजनैतिक सूत्रों की मानें तो हाईकमान ने सीएम का नाम तो तय कर ही लिया है बस विधायकों के साथ कुछ मंथन के बाद इस नाम को घोषित भी कर दिया जाएगा।
शाम तक सीएम के नाम की घोषणा हो जाएगी लेकिन सोशल मीडिया में पूरा दिन दो—तीन नाम खबरों में दिखाई देते रहे। यह बनेगा सीएम, वह बनेगा सीएम जैसे अटकलों पर खबरें तैरती रहीं जबकि पुख्ता जानकारी किसी के पास नहीं थी लेकिन अटकलों पर लगाम भी नहीं लगाई जा सकी। गजब की बात तो यह रही कि इस सियासी ड्रामे के बीच अपराध सहित शहर की अन्य खबरें गौण हो गईं। यहां तक कि ताजा प्रकरण में भाजपा विधायक पर लगे दुष्कर्म के आरोप और केस दर्ज होने को भी आज कोई खास तवज्जों नहीं दी गई।
सब कुछ जैसे सीएम—सीएम के खेल में थम सा गया। सरकारी कार्यालयों में कर्मचारी नए सीएम और पुराने के कार्यकाल को लेकर चर्चा में व्यस्त रहे तो वहीं आम जनता भी टीवी पर नजरें गड़ाए बैठी रही कि न जाने कौन से पल नए सीएम के नाम की घोषणा हो जाए। यहां तक कि राजनैतिक दल भी इस राजनैतिक भूचाल पर लगातार बयानबाजी करने में जुटे हुए हैं।
आम आदमी पार्टी जो बीते रोज से ही नेतृत्व परिवर्तन को देखते हुए लगातार बयान जारी कर रही है वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस में दूसरी पंक्ति के नेताओं ने बागडोर संभाल रखी है। कंाग्रेस का प्रदेश नेतृत्व तो खुद ही प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के चयन में उलझा हुआ है। गजब की बात तो यह है कि पिछले एक सप्ताह से कांग्रेस की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है और दावा जनता की समस्या का तत्काल समाधान करने का है। मगर जब राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का दौर चल रहा है और चुनावी साल में जनता के बीच काम करने का समय है तो पदाधिकारी दिल्ली दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। इतना जरूर है कि उत्तराखण्ड के सियासी घटनाक्रम पर नजर सबकी गड़ी हुई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here