त्रिवेंद्र ने बनाया नाक का सवाल
सरकार बनी तो बोर्ड भंगः कांग्रेस
देहरादून। त्रिवेंद्र सरकार द्वारा लाया गया देवस्थानम एक्ट भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बन चुका है। तीर्थ पुरोहितों के आंदोलन और नाराजगी के कारण भाजपा कंफ्यूज है कि क्या करें? उधर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने इसे अपनी नाक का सवाल बना लिया और वह आए दिन इस मुद्दे पर बयान देते नजर आ रहे हैं। वहीं कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि अगर उनकी सरकार बनी तो वह इस एक्ट को रद्द कर देंगे।
देवस्थानम बोर्ड का प्रस्ताव 2019 में त्रिवेंद्र सरकार द्वारा लाया गया था जिसे 2020 में राज्यपाल से भी मंजूरी मिल चुकी है। मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाए जाने के बाद त्रिवेंद्र सरकार के गैरसैंण को कमिश्नरी बनाए जाने के फैसले से लेकर कई अन्य फैसले पलटे जा चुके हैं। जिन्हें लेकर वह खिन्न हैं अब जब देवस्थानम एक्ट को भी रद्द करने की बात हो रही है तो उन्होंने इसके विरोध में खुलकर बैटिंग शुरू कर दी है उनका कहना है कि एक्ट ऐसे ही रद्द नहीं किए जा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो फिर देश भर में एक्ट रद्द करने की मांग होने लगेगी, लोग वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड शिरडी और तिरुपति बोर्ड को भी रद्द करने की मांग करेंगे। उनका कहना है कि बोर्ड का विरोध करने वाले चंद कांग्रेसी हैं और इसकी लड़ाई वह अकेले ही लड़ते रहेंगे।
पूर्व सीएम तीरथ और वर्तमान सीएम धामी इस पर पुनर्विचार करने की बात कह चुके हैं और इस पर विचार चल भी रहा है किंतु भाजपा नेता और सरकार उसे लेकर कन्फ्यूज जरूर है। यही कारण है कि फैसले में देरी हो रही है। चुनावी माहौल में कांग्रेसी इस स्थिति का फायदा उठाने की ताक में है। उसके दोनों हाथों में लड्डू है यही कारण है कि प्रीतम सिंह कह रहे हैं कि चुनाव से पूर्व भाजपा सरकार ही इसे रद्द कर देगी और अगर नहीं किया तो कांग्रेस की सरकार बनने पर हम इसे रद्द कर देंगे।
उधर तीर्थ पुरोहित बोर्ड गठन को लेकर पहले दिन से ही आंदोलित है तथा अब उनका आंदोलन जल समाधि लेने की घोषणा तक पहुंच गया है। सरकार के पुनर्विचार के आश्वासन से भी वह नाराज हैं तथा भाजपा को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर बोर्ड रद्द नहीं किया गया तो भाजपा चुनाव में साठ प्लस नहीं साठ माइनस हो जाएगी। ऐसी स्थिति में भाजपा के आगे कुआं पीछे खाई वाली स्थिति है उसे चुनाव से पूर्व इस पर निर्णय लेना भी जरूरी है।