शवों का सच छिपाने का पाप

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जिन शवों पर सरकार और सत्ता में बैठे लोग कफन तक डालने में नाकाम रहे अब वही लोग इन शवों की संख्या और मौत के कारणों पर पर्दा डालने में जुटे हुए हैं। सवाल यह है कि सत्य को छुपाकर क्या सरकार अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने की कोशिशों में सफल हो सकती है? सत्ता में बैठे लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि सच—सच ही होता है उसे छुपाने से सच को बदला नहीं जा सकता। सरकार सच को जितना भी चाहे छिपाने का प्रयास कर ले, लेकिन देश की जनता इस सच को जानती है क्योंकि उसने इस सच का दर्द झेला है। बीते कल सरकार ने राज्यसभा में जो कहा है कि देश में एक भी मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई यह सफेद झूठ है। इतना बड़ा झूठ संसद में बोलकर सरकार ने अपनी विश्वसनीयता को खत्म कर दिया है बल्कि संसदीय मर्यादाओं की हत्या का प्रयास भी किया है। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से कितने लोगों की मौत हुई इसकी सही संख्या भले ही कभी पता ना चले लेकिन दिल्ली के बत्रा अस्पताल के निदेशक का बयान जब उन्होंने टीवी चैनलों पर भरी आंखों के साथ दिया था कि उन्होंने अपने पूरे चिकित्सीय जीवन में ऐसे दिन कभी नहीं देखे जब ऑक्सीजन न मिल पाने से हमारी आंखों के सामने हमारे एक सीनियर डॉक्टर सहित 12 लोगों ने तड़प—तड़प कर दम तोड़ दिया और हम कुछ नहीं कर सके। कल सरकार द्वारा दिए गए बयान पर उनका कहना है कि ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई यह एकदम गलत है मृत्यु प्रमाण पत्र में ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई यह नहीं लिखा जा सकता इसका मतलब यह नहीं कि ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई। अकेला दिल्ली का बत्रा अस्पताल नहीं है देश में कई ऐसे अस्पताल है जिन्होंने घटना वाले दिन ही इस सच को सामने रख दिया था। देशभर में ऑक्सीजन की कमी से मरने वालों की संख्या कई हजार हो सकती है भले ही सरकार इसे माने न माने। जिन लोगों ने दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से अपनों को खोया है सरकार का यह बयान उनके जख्मों पर नमक छिड़कने से कम नहीं है। इससे भी अधिक बेशर्मी की बात यह है कि सरकार के इस झूठ पर पर्दा डालने के लिए टीवी चैनलों पर तमाम बेतुके तर्क दे रहे हैं। बात सिर्फ ऑक्सीजन की कमी से मरने वालों की संख्या कि नहीं है देश में कोरोना से हुई मौतों का सच छिपाने का खेल शुरू से ही जारी रहा है। दो दिन पूर्व महाराष्ट्र की सरकार द्वारा अपने राज्य में हुई मौतों के आंकड़ों में 3505 पुरानी मौतों को जोड़ा जाना इसका ताजा प्रमाण है। कोई राज्य सरकार ऐसी नहीं है जिसने इस सच को नहीं छुपाया हो। अमेरिका की एक एजेंसी की रिपोर्ट में भारत में 50 लाख से भी अधिक कोरोना से हुई मौतें बताई गई है जबकि हमारी सरकारें सिर्फ 4. 25 लाख पर ही अटकी है जो सत्य से 10 गुना कम है। सरकार द्वारा कोरोना प्रबंधन में विफलता को छिपाने के लिए जो झूठ बोला जा रहा है उससे सरकार व सत्ता में बैठे लोगों का कुछ भला होने वाला नहीं है। क्योंकि जनता सारी सच्चाई जानती है और साथ में यह भी जानती है कि सरकार कोरोना प्रबंधन में पूरी तरह फेल साबित हुई है तथा इन मौतों के लिए सरकार ही जिम्मेदार है।

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