देहरादून। नौ माह से दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के बीच आज भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने उत्तराखण्ड सरकार को चेतावनी दी है कि यदि किसानों की बात नहीं सुनी गई तो बॉर्डर को सील कर दिया जाएगा। टिकैत ने उत्तराखण्ड में हिमाचल प्रदेश की तरह से ही किसानों के लिए पॉलिसी लागू करने की मंाग सरकार से की है।
आज प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि पहाड़ के किसानों के अलग मुद्दे हैं। मैदानी भाग के अलग मुद्दे हैं। पहाड़ के किसानों के लिए सरकार को नीति बनानी चाहिए। जिस तरह से हिमाचल में सरकार द्वारा किसानों के हित में कार्य किया जा रहा है उसी तरह से उत्तराखण्ड में भी किसानों के लिए सरकार को पॉलिसी लागू करनी चाहिए। कहा कि केंद्र सरकार तीनों नए कृषि कानूनों को तुरंत वापस ले। ये तीनों कृषि कानून किसान मजदूर और आमजन के विरोधी हैं। टिकैत ने कहा कि किसानों को बर्बाद करने के लिए बिना मांगे ये कृषि कानून देश के किसानों पर थोप दिए गए हैं, जिससे किसान पहले कर्ज में डूबेगा, फिर धीरे—धीरे पूंजीपति किसानों से उनकी जमीन हड़पने का काम करेंगें। देश के लोग किसान आंदोलन से नहीं वैचारिक क्रांति से जुड़ रहे हैं।
राकेश टिकैत ने किसानों से पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत में ज्यादा से ज्यादा संख्या में भाग लेने की अपील की थी। टिकैत ने कहा कि सरकार केवल इसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का आंदोलन बता रही है, लेकिन इसमें 550 से अधिक किसान संगठन जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार यह गलतफहमी छोड़ दे कि किसान थक कर घर वापस चले जाएंगे। वहीं उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में किसानों के लिए विलेज टूरिज्म पॉलिसी भी लागू करे। कहा कि यदि सरकार किसानों के हित में फैसला नहीं लेती है और उनकी मांगों को नहीं मानती है तो बड़ा आंदोलन उत्तराखण्ड में खड़ा किया जाएगा।