उत्तराखंड की बैक डोर भर्तियों की कब होगी सीबीआई जांच?

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  • 2016 से पूर्व की नियुक्तियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं?
  • सरकार ने कुछ कर्मियों को बर्खास्त कर क्यों की लीपा पोती

देहरादून/लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा उत्तर प्रदेश की विधानसभा और परिषद में हुई बैकडोर भारतीयों पर सख्ती दिखाते हुए इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दे दिए गए हैं। जिसके बाद यूपी की सियासत में हड़कंप मचा हुआ है। 2020 से 2023 के बीच हुई 200 के लगभग भर्तियों के जरिए नेताओं और अफसरों के सगे संबंधियों को दी गई नौकरी के खिलाफ एक जनहित याचिका पर चल रही सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की बेंच ने इसकी जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए हैं। इसकी जद में आए कई नेता व अधिकारी तो बेनकाब होंगे ही साथ ही अवैध तरीके से नौकरी पाने वालों की नौकरी भी जाएगी।
उत्तराखंड में अभी बीते दिनों जब विधानसभा व सचिवालय में बैकडोर भर्तियों का मामला सामने आया था तब ऐसी ही स्थिति देखी गई थी। फर्क यह था कि अपनी साख बचाने के लिए धामी सरकार ने इस पर खुद ही कार्रवाई शुरू कर दी गई। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने आनन—फानन में पत्रकार वार्ता बुलाकर इसकी जांच कराने व कार्रवाई की बात की। वहीं जांच के आधार पर उन्होंने एक सप्ताह के अंदर ही 228 तदर्थ नियुक्तियों को अवैध बताते हुए इन कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था। अपने खिलाफ हुई इस कार्यवाही को लेकर यह कर्मचारी हाईकोर्ट भी गए तथा सुप्रीम कोर्ट भी गए, उन्होंने आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश भी की लेकिन उन्हें कहीं से भी राहत नहीं मिली। लेकिन यह सवाल आज भी सवाल ही बना हुआ है कि राज्य की सरकार ने 2016 से पूर्व हुई बैक डोर भर्तियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्यों इस अति संवेदनशील मामले की जांच सीबीआई को या किसी उच्च स्तरीय जांच एजेंसी को नहीं सौंपी गई क्यों इस मामले में लीपापोती की गई? क्या 2016 से पूर्व की भर्तियों को इसलिए वैध माना जा सकता है कि सरकार उन्हें स्थाई नियुक्ति पत्र दे चुकी थी? सच यह है कि इन्हें स्थाई करने का सरकार का फैसला भी अवैध था।
बात सिर्फ विधानसभा व सचिवालय में हुई बैकडोर भर्तियोंं तक ही सीमित नहीं है राज्य गठन से लेकर अब तक उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा आयोग व लोक सेवा आयोग द्वारा की गई तमाम भर्तियों में हुई व्यापक धांधली की जांच सीबीआई से कराने का साहस सरकार कभी नहीं जुटा सकी है क्योंकि ऐसा हुआ तो राज्य के कई सफेद पोश और अधिकारियों के चेहरे बेनकाब हो जाएंगे?

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