नई दिल्ली । अमेरिका ने शुक्रवार को धार्मिक स्वतंत्रता की वर्तमान स्थिति के लिए चीन, पाकिस्तान और म्यांमार समेत 12 देशों को ‘विशेष चिंता वाले देशों’ के रूप में नामित किया। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन पर भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम परिषद जैसे समूहों ने भारत को भी इस लिस्ट में शामिल करने के लिए दबाव बनाया था।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने शुक्रवार को एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता के विशेष रूप से गंभीर उल्लंघन में शामिल होने या सहन करने वाले देशों की घोषणा की। इसमें म्यांमार, चीन, क्यूबा, एरिट्रिया, ईरान, निकारागुआ, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान शामिल हैं।
साथ ही, ब्लिंकेन ने अल्जीरिया, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोमोरोस और वियतनाम को धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघनों में शामिल होने या सहन करने के लिए विशेष निगरानी सूची में रखा। अमेरिका ने अल-शबाब, बोको हराम, हयात तहरीर अल-शाम, हौथिस, आईएसआईएस-ग्रेटर सहारा, आईएसआईएस-वेस्ट अफ्रीका, जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल-मुस्लिमिन, तालिबान और वैगनर ग्रुप को भी नामित किया है।
एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि इन घोषणाओं से हम राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा और दुनियाभर में मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए हमारे मूल्यों और हितों को ध्यान में रखते हैं। जो देश प्रभावी रूप से इसकी और अन्य मानवाधिकारों की रक्षा करते हैं, वे संयुक्त राष्ट्र के अधिक शांतिपूर्ण, स्थिर, समृद्ध और अधिक विश्वसनीय भागीदार हैं। उन राज्यों की तुलना में जो नहीं करते हैं। ब्लिंकेन ने कहा कि अमेरिका दुनिया भर के हर देश में धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता की स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी करना जारी रखेगा और धार्मिक उत्पीड़न या भेदभाव का सामना करने वालों की वकालत करेगा।
उन्होंने कहा कि हम नियमित रूप से धार्मिक स्वतंत्रता पर सीमाओं के संबंध में अपनी चिंताओं के बारे में उन देशों को भी शामिल करेंगे, जिन्हें भले ही नामित किया गया हो। उन्होंने कहा कि अमेरिका सभी देशों के साथ मिलकर काम करेगा और इस सूची से नाम हटाने के लिए रूपरेखा तैयार करेगा।